महिला आरक्षण विधेयक (नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023) गुरुवार को राज्यसभा से भी सर्वसम्मति पारित हो गया है. इस विधेयक के खिलाफ एक भी वोट नहीं पड़ा. हालांकि, विपक्ष विधेयक को जल्द लागू किए जाने की लगातार मांग उठा रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार से महिला आरक्षण पर जरूरी सुधारों के साथ जल्द कानूनी तौर पर लागू करने की मांग की. उन्होंने आगे कहा, अन्यथा इसे हर भारतीय के बैंक खाते में 15 लाख रुपये और हर साल 2 करोड़ नौकरियों जैसे एक और चुनावी 'जुमला' के रूप में लिया जाएगा.
खड़गे ने आज राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल के समर्थन में चर्चा की. उन्होंने इसे तुरंत कानून बनाने पर जोर दिया और बीजेपी पर तंज कसा. खड़गे ने कहा, हमें लिमिट, डेट और साल बताएं. इसे कब लागू किया जाएगा- दो साल, पांच साल या दस साल? उन्होंने सुझाव दिया कि जनगणना और परिसीमन का इंतजार करने की कोई जरूरत नहीं है. महिलाओं के लिए आरक्षण सदस्यों की मौजूदा संख्या के अनुपात में किया जा सकता है.
'60 फीसदी आबादी बाहर हो जाएगी'
खड़गे ने महिला आरक्षण कानून के तहत ओबीसी के प्रावधान की जोरदार वकालत की और कहा, 60 फीसदी ओबीसी लोग हैं और महिलाओं के लिए ओबीसी आरक्षण का प्रावधान नहीं रखने से यह 60 फीसदी आबादी सीधे तौर पर बाहर हो जाएगी. उन्होंने सरकार से अगले सत्र में इसका संशोधन विधेयक लाने को कहा और कांग्रेस के समर्थन का आश्वासन दिया.
'सरकार को वादा याद दिलाया तो कहा चुनावी जुमला था'
खड़गे ने आगे कहा, यह सिर्फ चुनावी जुमले तक सीमित नहीं रहना चाहिए. एक बार गृहमंत्री अमित शाह ने इसी तरह का एक वादा किया था. लेकिन बाद में जब उन्हें उनका वादा याद कराया गया तो उन्होंने कहा था कि वह चुनावी जुमला था. लेकिन हम चाहते हैं कि यह विधेयक चुनावी जुमला नहीं बनना चाहिए.
महिला आरक्षण बिल के लिए सरकार ने दो शर्तें रखी
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने महिला आरक्षण बिल पर कहा कि ये बिल विशेष है, महिलाओं के लिए हैं. स्त्री शक्ति के लिए है. इस बिल को हम खराब करना नहीं चाहते लेकिन इस पर मेरी आपत्ति है. इस बिल का क्लोज 5 कहता है कि आरक्षण तभी लागू होगा, जब परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होगी. परिसीमन की प्रक्रिया जनगणना पूरी होने के बाद कराई जाएगी. इस तरह से महिला आरक्षण से पहले दो अनिवार्य शर्त रखी गई है. पहला जनगणना और दूसरा परिसीमन.
खड़गे ने सुनाई कविता
खड़गे ने महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा के दौरान एक कविता सुनाई. उन्होंने महिलाओं को समर्पित इस कविता में कहा, कोमल है तू कमजोर नहीं, शक्ति का नाम ही नारी है. जग को जीवन देने वाली, मौत भी तुझसे हारी है. सतियों के नाम पर तुझे जलाया गया, मीरा के नाम पर जहर पिलाया गया. सीता जैसी अग्निपरिक्षा भी हुई. जग में अब तक ये सब जारी है. बहुत हो चुका अब मत सहना. तुमझे इतिहास बदलना है. कोमल है, कमजोर नहीं शक्ति का नाम नारी है.
खड़गे ने यह भी कहा, सरकार को विधेयक को तुरंत लागू करना चाहिए था, जैसे उसने कुछ घंटे के नोटिस के भीतर बड़े नोटों को बंद करने का फैसला लिया था और तीन कृषि कानून भी पारित किए थे. खड़गे ने कहा, कांग्रेस इस विधेयक का समर्थन कर रही है, लेकिन यह कानून प्रति वर्ष दो करोड़ नौकरियों और प्रत्येक नागरिक के बैंक खाते में 15 लाख रुपये जमा करने के वादे की तरह एक और 'जुमला' नहीं बनना चाहिए.