त्रिपुरा की 60 विधानसभा सीटों के लिए 16 फरवरी को वोट डाले जाने हैं. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सत्ता बरकरार रखने के लिए अपनी रणनीति को अंतिम दे दिया है तो वहीं सीपीएम भी बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर पांच साल का वनवास समाप्त कराने की कोशिश में जुटी है. सीपीएम के साथ गठबंधन कर कांग्रेस भी चुनाव मैदान में है वहीं, पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) भी ताल ठोक रही है.
जैसे-जैसे मतदान की तिथि करीब आती जा रही है, वैसे-वैसे चुनाव प्रचार जोर पकड़ता जा रहा है. 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सीपीएम का किला ध्वस्त कर दिया था. सीपीएम इस बार कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी है. जानकारी के मुताबिक सीपीएम 45 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार रही है जबकि कांग्रेस 13 सीटों पर लड़ेगी.
कांग्रेस पार्टी की ओर से 17 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी थी लेकिन सीपीएम के साथ शीर्ष स्तर पर हुई बातचीत के बाद पार्टी के 13 सीटों पर लड़ने को लेकर सहमति बन गई है. त्रिपुरा में सीपीएम के सेक्रेटरी जितेंद्र चौधरी ने आजतक से बातचीत में बताया कि कांग्रेस के प्रभारी डॉक्टर अजय कुमार के साथ बातचीत में सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर सहमति बन गई है.
उन्होंने कहा कि सीपीएम 47 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और कांग्रेस शेष 13 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. जितेंद्र चौधरी ने ये भी कहा है कि दोनों पार्टियों के बीच कोई चुनाव पूर्व गठबंधन की स्थिति नहीं है बल्कि यह एक सीट शेयरिंग फॉर्मूला है जिसके तहत दोनों दल बीजेपी के खिलाफ पूरी ताकत के साथ चुनाव मैदान में उतरेंगे.
माणिक सरकार नहीं लड़ेंगे चुनाव, करेंगे प्रचार
त्रिपुरा के तीन बार मुख्यमंत्री रहे माणिक सरकार इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. सीपीएम के स्थानीय नेताओं के मुताबिक माणिक सरकार ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने की अपनी इच्छा पिछले महीने दिल्ली में हुई पोलित ब्यूरो की बैठक के दौरान जाहिर कर दी थी. माणिक सरकार ने पोलित ब्यूरो की बैठक में ये कहा था कि चुनाव नहीं लड़ना चाहता. उन्होंने ये भी कहा था कि वे सभी 60 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के उम्मीदवारों का प्रचार करेंगे, विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर ध्यान देंगे.
त्रिपुरा सीपीएम के नेताओं ने माणिक सरकार से चुनाव लड़ने की अपील की थी लेकिन उन्होंने ये साफ कह दिया है कि वे इस बार चुनावी रणभूमि में नहीं उतरने वाले. ऐसे में अगर कांग्रेस और सीपीएम का गठबंधन बहुमत के आंकड़े तक पहुंच जाता है तो किसी नए चेहरे की मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी तय मानी जा रही है. चर्चा ये भी है कि सीपीएम किसी युवा चेहरे को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दे सकती है.