केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का विरोध बीते दो महीने से सड़क पर ही सीमित था, लेकिन अब जब शुक्रवार से संसद के बजट सत्र की शुरुआत हो गई है तो यहां पर भी विपक्षी सांसदों का प्रदर्शन शुरू हो गया है. सरकार को बजट सत्र के दौरान कांग्रेस समेत अन्य दलों से पार पाना होगा. संसद में विपक्ष के विरोध का कैसे सामना करना है इसे लेकर सरकार में बैठकों का दौर हो रहा है.
संसद भवन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह की बैठक हुई. इसमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारण के अलावा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और बीएल संतोष (बीजेपी संगठन महासचिव) भी मौजूद रहे. मीटिंग में किसान आंदोलन और संसद सत्र को लेकर रणनीति बनी.
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पहले ही दिन विरोध का करना पड़ा सामना
सरकार को सत्र के पहले ही दिन विरोध का सामना करना पड़ा. विपक्षी सांसदों ने सेंट्रल हॉल के अंदर और बाहर नारेबाजी की. सांसदों ने उस वक्त नारेबाजी की जब राष्ट्रपति अपना भाषण दे रहे थे. आम आदमी पार्टी के सांसदों ने सेंट्रल हॉल के बाहर कृषि कानूनों और एमएसपी गारंटी कानून को लेकर नारेबाजी की.
सांसदों ने कहा कि तीनों कानूनों को वापस लिया जाए और एमएसपी पर कानून बनाया जाए. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि सरकार पूंजीपतियों के दबाव में काम कर रही है. किसानों के खिलाफ काम कर रही है. वहीं, शिरोमणि अकाली के सांसद संसद के गेट नंबर 4 पर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया.
वहीं, केंद्रीय कक्ष में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के दौरान भी विपक्षी सांसदों ने तीनों कृषि कानूनों का विरोध किया. कांग्रेस ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया, लेकिन उसकी तरफ से अकेले रवनीत सिंह बिट्टू सेंट्रल हॉल में आए. उन्होंने थोड़ी देर राष्ट्रपति का अभिभाषण सुना और उसके बाद खड़े होकर तीनों कानूनों को रद्द करने और एमएसपी गारंटी कानून को लेकर आवाज उठाई. उन्होंने कहा कि सरकारों को तीनों कानून रद्द करने चाहिए और एमएसपी गारंटी कानून बनाना चाहिए. उसके बाद वह सदन से बाहर निकल गए.