राजस्थान के धौलपुर जिले में पंचायत आम चुनाव 2021 की घोषणा जारी होते ही सियासत की चर्चा शुरू हो गई है. कांग्रेस और भाजपा के टिकट दावेदारों ने भी नेताओं की चौखट पर समर्थकों को साथ लेकर दावेदारी करना शुरू कर दिया है. कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों में अंतर्कलह देखी जा रही है. वर्तमान परिस्थितियां भाजपा के लिए बेहद जटिल देखी जा रही हैं.
राजस्थान में जिला प्रमुख एवं पंचायत समिति प्रधानों के पद हासिल करने के लिए दोनों ही पार्टी के नेताओं ने दमखम झोंकना शुरू कर दिया है. धौलपुर पहुंचे कांग्रेस के पूर्व मंत्री एवं विधायक डॉ. जितेंद्र सिंह ने धौलपुर, बाड़ी और बसेड़ी क्षेत्र का दौरा कर टिकट वितरण को लेकर कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया और गहलोत सरकार की उपलब्धियों के बारे में जानकारी देकर जिला प्रमुख और पांचों पंचायत समिति में कांग्रेस के प्रधान बनाने पर जोर दिया. जिले में कांग्रेस के तीन विधायकों को एक ही मंच पर समन्वय स्थापित करने की बात कही.
जिले के बसेड़ी ब्लॉक कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीजेपी में शामिल होने पर पूर्व मंत्री सिंह ने कहा कि कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर करेंगे. पंचायत चुनाव में जिले के तीनों कांग्रेस के विधायकों की गुटबाजी सामने आ चुकी है.
भाजपा के जिला प्रभारी एवं पूर्व राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम टिकट वितरण को लेकर कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेने पहुंचे. तमाम भाजपा कार्यकर्ता एवं संगठन पदाधिकारियों ने पंचायत समिति एवं जिला परिषद चुनाव के लिए नेताओं के समक्ष आवेदन दिए हैं. बैठक के दौरान ही जिला प्रभारी ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर तीखे प्रहार किए हैं. कांग्रेस के विधायकों को वसूली अधिकारी बताते हुए प्रदेश में जंगलराज स्थापित करने के आरोप लगाए हैं.
तीन चरणों में चुनाव की घोषणा
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने धौलपुर जिले में तीन चरण में चुनाव कराने की घोषणा की है. चुनाव आयोग के मुताबिक 20, 23 और 26 अक्टूबर को 5 पंचायत समिति और जिला परिषद के चुनाव कराए जाएंगे. नामांकन की प्रक्रिया 4 अक्टूबर से शुरू हो जाएगी.
ऐसा है धौलपुर का राजनीतिक समीकरण
प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया गुट एवं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे गुट की फूट नगर परिषद और नगर पालिका चुनाव में भी देखी गई है जिसका नतीजा रहा धौलपुर शहर नगर परिषद में भाजपा के अधिक सदस्य होने पर भी सभापति की कुर्सी भाजपा को गंवानी पड़ी. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थकों की टिकट काटी गई. वसुंधरा के समर्थकों ने निर्दलीय चुनाव लड़ कर कांग्रेस का बोर्ड बनवा दिया. मौजूदा वक्त की बात की जाए तो वसुंधरा समर्थक खामोश बैठे हुए हैं. संगठन के किसी भी कार्यक्रम मैं वसुंधरा के समर्थक उपस्थित नहीं रहते हैं तो वहीं कांग्रेस में भी बाड़ी और बसेड़ी के विधायक एक मंच पर हैं और राजाखेड़ा विधायक को इन दोनों विधायकों ने अलग-थलग कर दिया है. साथ ही बसेड़ी विधानसभा के ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष के साथ सैकड़ों कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल हो चुके हैं जिसका खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है.