राजस्थान सरकार की नई खेल नीति आयी है. जिसको लेकर अब काफी बवाल हो रहा है. दरअसल नई खेल नीति के तहत खिलाड़ियों को फॉर्म में अपनी जाति की जानकारी देनी है. राजस्थान सरकार की इस नीति का चौतरफा विरोध हो रहा है. दरअसल राजस्थान के खेल विभाग ने राज्य में ग्रामीण इलाकों में होनहार खिलाड़ियों की तलाश के लिए राजस्थान ग्रामीण ओलंपिक खेल शुरू किया है. जो भी खिलाड़ी राजस्थान ग्रामीण ओलंपिक में हिस्सा लेकर अपना हुनर दिखाना चाहते हैं उन्हें फॉर्म भर कर राजस्थान क्रीड़ा परिषद को सौंपना होगा.
खेलों के आयोजन पहले भी होते रहे हैं, मगर पहली बार फॉर्म में खिलाड़ियों से उनकी जाति पूछी गई है. राजस्थान सरकार के ग्रामीण ओलंपिक में हिस्सा लेने के लिए खिलाड़ियों को बताना होगा कि वह किस जाति से आते हैं. राजस्थान सरकार के खेल मंत्री अशोक चांदना का कहना है कि यह तो सच है कि सभी जातिगत श्रेणी में पैदा हुए हैं, तो लिखने में ग़लत क्या है?
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ग्रामीण इलाकों में कितने खिलाड़ी सामान्य वर्ग से आते हैं और कितने OBC और अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग से निकलते हैं, इसका रिकॉर्ड रखने के लिए हमने जाति का अलग कॉलम रखा है. BJP ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि कम से कम खिलाड़ियों को तो जातिवाद से बाहर रखो.
बता दें, BJP शासन काल में भी एक बार खिलाड़ियों के कॉलम में जाति भरने का फॉर्म जारी हुआ था जिसके विरोध के बाद वसुंधरा सरकार ने उसे वापस ले लिया था. हालांकि खेल जगत से कोई भी सरकार के विरोध में खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं, मगर कई खिलाड़ियों और कोचों ने इस पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि खेल एक टीम भावना से खेला जाता है. इस तरह के जातिवादी सेलेक्शन से टीम में दूरियां पैदा होंगी.