लोकसभा से संविधान (127वां) संशोधन विधेयक पारित हो गया है, जिसके बाद आज (बुधवार) इस विधेयक को राज्यसभा में लाया गया है. विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस ने समर्थन तो किया लेकिन इसकी खामियों को भी गिनाया.
कांग्रेस की तरफ से सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 'देर आए, दुरुस्त आए.' उन्होंने कहा कि 2018 में संशोधन लाकर देश के हर राज्य का अधिकार क्षेत्र खत्म कर दिया गया था. एक गलत फैसला लिया गया था, जिसे सुधारने के लिए अब ये संशोधन लाया जा रहा है और बड़ी अजीब बात है कि गलती भी आप करो और बधाई भी आप ही लो.
गलती को ठीक करने का क्या फायदा होगा
उन्होंने कहा कि ये संशोधन लाकर एक गलती तो ठीक हो रही है. लेकिन इस गलती को ठीक करने का फायदा क्या होगा. इस संविधान संशोधन में 50 फीसदी आरक्षण सीमा पर एक शब्द भी नहीं बोला गया है.
सिंघवी ने कहा, ''सब राज्य सूचियां बना लेंगे, लेकिन इन सूचियों का क्या करेंगे. ये सूचियां सिर्फ खाली बर्तन जैसी रहेंगी जो सिर्फ बजाया जा सकेगा, उससे कुछ खाया नहीं जा सकेगा. देश के 75 प्रतिशत राज्य ऐसे हैं जहां आरक्षण पचास प्रतिशत की सीमा से आगे निकल गया है.''
सिंघवी ने ये भी कहा कि अगर सही आंकड़ा हो तो रोजगार में वास्तविक ओबीसी आंकड़ा 22 प्रतिशत ही है, उसमें भी अधिकतर ग्रुप-सी कैटेगरी में है.
राज्यों को दिया जा रहा कागजी दस्तावेज- सिंघवी
सिंघवी ने कहा कि अब इस संशोधन के जरिए आप राज्यों को एक कागजी दस्तावेज दे रहे हैं और एक ऐसा सब्जबाग दिखा रहे हैं जो कानूनी रूप से कार्यान्वित नहीं हो सकता.
कांग्रेस सांसद सिंघवी ने कहा कि 2018 में जो संशोधन लाया गया उसमें सरकार ने तो गलती की ही, उच्चतम न्यायालय ने भी बड़ी गंभीर गलती की. सिंघवी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने इसके मायने, नीयत और उद्देश्य को नजरअंदाज किया.
जातिगत जनगणना से क्यों भाग रही सरकार?
अभिषेक मनु सिंघवी ने ये भी पूछा कि आप जातिगत जनगणना से क्यों भाग रहे हैं. उन्होंने कहा कि 2011 में हमारी सरकार ने ये जनगणना की थी, लेकिन उसमें त्रुटियां थीं. लेकिन आप ये करने से कतरा रहे हैं.