महाराष्ट्र में शिवसेना के दोनों गुटों के सामने अपनी-अपनी चुनौतियां हैं, जिनमें पार्टी छोड़कर जा रहे पुराने नेताओं को रोकना, मुंबई में संगठन को मजबूत करना, नया नेतृत्व तैयार करना तथा मराठी और गैर-मराठी मतदाताओं को जोड़ना शामिल है.