सन 1960 में दिल्ली में 20 लाख लोगों ने गणतंत्र दिवस समारोह देखा, जिनमें से पांच लाख लोग तो राजपथ पर ही जमा थे. बाकी लोगों ने दिल्ली के जिन इलाकों से परेड गुजरी, वहां से इसे देखा. उस जमाने में आतंकी खतरा नहीं था और न नेता और जनता के बीच दूरी थी. लोग छतों से परेड देखते थे. राजपथ पर सुबह चार बजे से भीड़ लग जाती थी. वहीं, 1962 के युद्ध में RSS ने जिस तरह से भारतीय सैनिकों की मदद की उससे नेहरू बहुत प्रभावित थे. लिहाजा, 1963 में RSS को भी गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लेने के लिए बुलावा भेजा गया. RSS को ये बुलावा सिर्फ 2 दिन पहले दिया गया था. लेकिन मात्र दो दिन पहले मिले निमंत्रण पर करीब 3000 स्वयंसेवक गणवेश में उपस्थित हुए.