मोहन भागवत ने स्वदेशी पर अपने विचार व्यक्त किए हैं. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय ट्रेड में किसी भी प्रकार का दबाव नहीं होना चाहिए. मोहन भागवत ने इस बात पर जोर दिया कि सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारत बना रहे. उन्होंने कहा, "भारत बने, हम रहे या ना रहे भारत में रहना चाहिए." यह बात उन्होंने स्वदेशी के संदर्भ में कही.