योग गुरु बाबा रामदेव ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हमारे पास ज्ञान-विज्ञान की दौलत है, लेकिन भीड़ के आधार पर सच और झूठ का फैसला नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि मेडिकल माफिया झूठा प्रचार करते हैं, पतंजलि कभी झूठा प्रचार नहीं करता. बल्कि पतंजलि ने तो स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा दिया. जो झूठ फैलाया जा रहा है, उसका पर्दाफाश होना चाहिए. बीमारियों को नाम पर लोगों को डराया जा रहा है.
रामदेव ने कहा कि मैं कभी कोर्ट के सामने पेश नहीं हुआ. लेकिन खुद सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश होने के तैयार हूं. मैं अनुमित मांगूंगा कि मुझे पूरे रिसर्च के साथ पेश होने की अनुमति दी जाए. हमें अवसर दिया जाए कि हम अपने मरीज और रिसर्च को प्रस्तुत कर सकें. साथ ही 1940 में जो ड्रग एंड मैजिक रेमेडी एक्ट बना था. उसकी खामियों को उजाकर कर सकें.
उन्होंने कहा कि लोगों से कहा जा रहा है कि एक बार बीमार पड़ गए तो जीवन भर दवा खानी पड़ेगी, हम करते हैं कि दवा छोड़ दो, आप नेचुरल लाइफ जी सकते हो. उन्होंने कहा कि हम सैकड़ों रोगियों की सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने परेड कराने को तैयार हैं. सारे रिसर्च देने को तैयार हैं.
भीड़ के आधार पर सच-झूठ का फैसला नहीं होगा
योग गुरु ने कहा कि हमारे पास सैकड़ों साइंटिस्ट हैं, हमने सैकड़ों रिसर्च प्रोटोकॉल फॉलो करके हमने रिसर्च पेपर इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित किए हैं. उसके बाद हम दावा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सच और झूठ का फैसला पूरे देश के सामने होना चाहिए. एलोपैथी वालों की संख्या भारी है. उनके पास लाखों करोड़ का साम्राज्य है. तो ऐसे सच और झूठ का फैसला नहीं होगा. उनके पास हॉस्पिटल ज्यादा है, डॉक्टर्स ज्यादा हैं, तो उनकी आवाज ज्यादा सुनी जाती है तो हम कम पैसे वालों की आवाज नहीं सुनी जाएगी.
रामदेव बोले- अंतिम फैसले तक लड़ेंगे
रामदेव ने कहा कि हम दरिद्र नहीं हैं, हमारे पास ऋषियों की ज्ञान की विरासत है. लेकिन हमारी संख्या कम है. हम अकेले इंस्टीट्यूशन भी पूरी दुनिया के ड्रग माफियाओं से अकेले लड़ने को तैयार हैं. स्वामी रामदेव कभी डरा और हारा नहीं. हम ये लड़ाई अंतिम निर्णय तक लड़ेंगे. साथ ही कहा कि सुप्रीम कोर्ट का हमेशा सम्मान रहेगा.
कोर्ट ने दी थी ये चेतावनी
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने पतंजलि को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर उनके उत्पादों को लेकर इसी तरह के भ्रामक विज्ञापनों का प्रसारण जारी रहेगा, तो उन पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लग सकता है. कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को भविष्य में इस तरह के भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने से बचने की सलाह दी. अदालत ने कहा था कि पतंजलि को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह प्रेस में इस तरह के बयान देने से दूरी बनाकर रखें.
क्या है मामला?
पतंजलि आयुर्वेद ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है. इस दावे के बाद कंपनी को आयुष मंत्रालय ने फटकार लगाई थी और इसके प्रमोशन पर तुरंत रोक लगाने को कहा था.