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संसद की नई बिल्डिंग में चल सकता है शीतकालीन सत्र, बतौर स्पीकर 3 साल पूरे होने पर बोले ओम बिरला

ओम बिरला ने आज लोकसभा स्पीकर के तौर पर 3 साल पूरे कर लिए हैं. इस दौरान उन्होंने कहा कि संसद के नए भवन में हमारी कोशिश यही है कि शीतकालीन सत्र से सत्र शुरू हो जाए. नए भवन में आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर साफ तौर से दिखाई देगी.

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ओम बिरला (File Photo)
ओम बिरला (File Photo)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • स्पीकर बोले- किसी सांसद को बात कहने से नहीं रोकता
  • कोशिश करता हूं अनुशासन-डेकोरम बना रहे- बिरला

संसद का शीतकालीन सत्र नई बिल्डिंग में चलाया जा सकता है. यह इमारत तकनीक और सुरक्षा की दृष्टि से पुरानी संसद की बिल्डिंग से कहीं आगे है. यह बात रविवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कही. आज (19 जून) ही के दिन तीन साल पहले उन्होंने स्पीकर पद की शपथ ली थी.

उन्होंने कहा कि संसद के नए भवन में हमारी कोशिश यही है कि शीतकालीन सत्र से सत्र शुरू हो जाए. नए भवन में आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर साफ तौर से दिखाई देगी. उन्होंने कहा कि संसद का पुराना भवन भी इसका एक हिस्सा रहेगा.

ओम बिरला ने आज तक से खास बातचीत में कहा कि वे हमेशा से चाहते हैं कि सदन में अनुशासन और डेकोरम बना रहे. अगर कोई सांसद अपनी बात रखना चाहता है तो वह उसे पूरा मौका देते हैं. चाहे वह पहली बार चुनकर संसद आया हो या पुराना सांसद हो.

उन्होंने कहा कि वे इस बात का ध्यान रखते हैं कि सदन की कार्यवाही में रुकावट ना हो. संसद में जनता से जुड़े मुद्दे उठाए जा सकें. वे इस बात का ध्यान रखते हैं कि बिलों पर विस्तार से चर्चा हो, जिसके लिए सांसद चुनकर आते हैं. वे इस बात का ध्यान रखते हैं कि महत्वपूर्ण विषयों पर सांसद भाग लें.

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स्पीकर ने आगे कहा कि सभी के सहयोग से सदन का प्रोडक्शन 100 फीसदी रहा है. देर रात तक हाउस चलता है. पिछले 2 साल में देश कोरोना से प्रभावित रहा है. इसके बाद भी कोरोना की गाइडलाइन का पालन करते हुए हमने सदन को सुचारू रूप से चलाया.

ओम बिरला ने आगे कहा कि संक्रमण के दौरान सदन के कामकाज में कोई रुकावट नहीं आई. उसकी प्रोडक्टिविटी पर कोई फर्क नहीं पड़ा. 

स्पीकर ने कहा कि मैं समय-समय पर पार्टी के नेताओं को बुलाकर बात करता रहता हूं, ताकि सदन ठीक ढंग और सुचारू रूप से चलता रहे. साथ ही वे इस बात पर भी ध्यान देते हैं कि अनुशासन और डेकोरम बना रहे. उन्होंने कहा कि सभी सदस्य सहयोग भी करते हैं. उन्हीं के सहयोग से सदन का प्रोडक्शन और बहस का स्तर काफी बढ़ा.

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