वायनाड में भूस्खलन से मरने वालों की संख्या 167 हो गई है. इनमें से 96 लोगों की पहचान परिवार ने कर ली है. 77 पुरुष और 67 महिलाएं हैं. इसमें 22 बच्चे शामिल हैं. बरामद एक शव के लिंग की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है. वायनाड जिला कलेक्टर ने एडवाइजरी जारी कर लोगों से भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से बाहर जाने को कहा है. वायनाड जिला कलेक्टर डीआर मेघाश्री ने जानकारी दी है कि जिले में भारी बारिश के मद्देनजर, भूस्खलन संभावित क्षेत्रों और पिछले वर्षों में भूस्खलन का अनुभव करने वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहना चाहिए.
कुरुम्बालाकोट्टा, लक्कीडी, मणिकुन्नु माला, म्यूटिल कोलपारा कॉलोनी, कपिकालम, सुगंधगिरी, पोझुथाना क्षेत्रों में अत्यधिक सावधानी बरती जानी चाहिए. कलेक्टर ने यह भी बताया कि जिन लोगों को खतरे की आशंका के कारण शिविरों में जाने के लिए कहा गया है, वे जल्द से जल्द अपने निवास स्थान से शिविरों में चले जाएं. स्थानीय निकाय सचिवों और ग्राम अधिकारियों को आवश्यक कदम उठाने चाहिए.
बता दें कि केरल के वायनाड में मंगलवार तड़के पहाड़ से बहकर आए सैलाब ने हाहाकार मचा दिया है. करीब 22 हजार की आबादी वाले 4 गांव सिर्फ 4 घंटे में पूरी तरह तबाह हो गए हैं. घर दफन हो गए और सैकड़ों लोग मलबे में दब गए. अब तक 167 लोगों की मौत होने की खबर है. कई लोग अभी भी लापता हैं. इस आपदा ने 11 साल पहले आई केदारनाथ त्रासदी की यादें ताजा कर दी हैं. जो रात में सोया था, उसे उठने तक का मौका नहीं मिला और सुबह मलबे में मिला. चारों तरफ बर्बादी ने इन गांवों की खूबसूरती को उजाड़ दिया है.
वायनाड में जो चार गांव जमींदोज हुए हैं, उनमें मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा का नाम शामिल है. मुंडक्कई और चूरलमाला के बीच पुल टूटने की वजह से लैंडस्लाइड से प्रभावित इलाकों से संपर्क टूट गया है. मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी किया है जिसकी वजह से हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर पा रहे हैं. जमीन के रास्ते ही लोगों को बाहर निकालने की कोशिशें हो रही हैं. मौसम विभाग ने वायनाड समेत आसपास के जिलों में भारी बरिश को लेकर रेड अलर्ट जारी किया है जिसके बाद केरल के 11 जिलों में स्कूल बंद करने के निर्देश दिए गए हैं.
इन चारों गांव में ज्यादातर चाय बागान के मजदूर रहते हैं. करीब 22 हजार की आबादी है. रात एक बजे जब पहली बार लैंडस्लाइड हुई तब लोग अपने घरों में सो रहे थे. किसी को बचने या भागने तक का मौका नहीं मिला. उसके बाद सिलसिलेवार दो बार और लैंडस्लाइड हो गई. मलबे से ना सिर्फ घर और निर्माण तबाह हुए, बल्कि नींद में साे रहे लोग भी दब गए. क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग और महिलाएं. स्थानीय लोग कहते हैं कि यहां आधी रात को कुदरत का कहर बरपा. भारी बारिश के बीच कई जगह पहाड़ दरक गए. मुंडक्कई में भी पहाड़ों से पानी के साथ मलबा दरक कर नीचे आया. मुंडक्कई उच्च जोखिम वाले आपदा क्षेत्र में आता है. यहां से मिट्टी और बड़ी-बड़ी चट्टानें पूरी रफ्तार से लुढ़क कर चूरलमाला आ गईं. फ्लैश फ्लड की वजह से चार गांव बह गए.