केंद्र सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश किया. इस बिल के सदन में पेश होते ही देश की सबसे बड़ी, अमीर और ताकतवर मुस्लिम संस्था वक्फ बोर्ड एक बार फिर से चर्चा में है, जिसे लेकर विपक्ष ये आरोप बीजेपी पर लगाने लगा कि लोकसभा चुनाव में सीटें घटने का बदला लेने के लिए वक्फ संशोधन बिल लाया गया है. वक्फ बोर्ड का वक्त बदल देने वाले बिल के आने से सारा सियासी विवाद फैल गया है.
सबसे पहले बात करते हैं वक्फ की संपत्ति की. दिल्ली कुल 3.6 लाख एकड़ इलाके में फैली हुई है और देश में वक्फ बोर्ड के पास 9 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन बताई जाती है. यानी अकेले वक्फ़ बोर्ड के पास ही तीन दिल्ली जितनी जमीन है. गोवा जैसा राज्य 9.14 लाख एकड़ में फैला है, यानी देश में वक्फ के पास गोवा जितनी जमीन है. भारत में जमीन के हिसाब से ही अगर वक्फ की जमीन को और बांटकर देखें तो दिल्ली, दादर नगर हवेली, पुडुचेरी, चंडीगढ़, लक्षद्वीप इन सबके पास कुल जितनी जमीन है, उतनी अकेले वक्फ बोर्ड के पास है.
रेलवे और सेना के बाद वक्फ बोर्ड के पास सबसे ज्यादा जमीन
देश में रेलवे और सेना के बाद वक्फ बोर्ड के पास सबसे ज्यादा जमीन है. कहने को तो इस जमीन और वक्फ़ की अरबों की संपत्ति और इस प्रॉपर्टी से होने वाली आमदनी का इस्तेमाल शैक्षणिक संस्थाओं, कब्रिस्तानों, मस्जिदों में धर्मार्थ और अनाथालयों में खर्च किया जाता है और होना चाहिए, लेकिन आरोप लगते आए हैं कि वक्फ की संपत्ति के नाम पर भूमाफिया, सियासतदां और प्रॉपर्टी बिल्डर बड़े खेल करते हैं, जिससे आम मुस्लिम, गरीब मुस्लिम का कोई फायदा नहीं होता. क्योंकि वक्फ बोर्ड के पास इतने असीमित अधिकार पहले से सियासी तुष्टिकरण की आड़ में दिए गए हैं, जितने दूसरे मुस्लिम देशों में भी नहीं होते. इसीलिए सरकार कहती है कि जनता के हित में वक्फ एक्ट में संशोधन वाला बिल लाया गया है.
नए बिल में क्या-क्या प्रावधान?
अब तक के कानून और नए बिल के प्रावधान की तुलना करें तो पहले जहां वक्फ बोर्ड अगर किसी जमीन पर दावा कर दे, तो जमीन वाला सिर्फ वक्फ के ट्रिब्यूनल में ही न्याय के लिए जा सकता था. वहीं नए बिल के अनुसार उसे ट्रिब्यूनल के अलावा रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट, हाईकोर्ट में अपील का अधिकार होगा. अब तक जहां वक्फ बोर्ड और दूसरे के बीच विवाद में वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले को ही आखिरी फैसला माना जाता रहा, वहां नए बिल में ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में जाने का अधिकार होगा.
बिल में इन अधिकारों की बात
अब तक जहां पुरानी मस्जिद हो या जमीन/प्रॉपर्टी का इस्तेमाल इस्लामिक मकसद से होता आया हो, तो अपने आप वो जमीन प्रॉपर्टी वक्फ की मान ली जाती थी, लेकिन नए बिल में कहा गया कि जब कोई अपनी जमीन प्रॉपर्टी दान करेगा, तभी उसे वक्फ का माना जाएगा. भले उस पर मस्जिद ही क्यों ना हो. सबसे अहम बात ये अब तक जहां वक्फ बोर्ड में महिला और दूसरे धर्म के लोगों की एंट्री पर पाबंदी रही, वहीं अब नए बिल में कहा गया है कि वक्फ बोर्ड में 2 महिला और अन्य धर्म के 2 लोग होंगे.
किरेन रिजिजू बोले- हम भागने वाले नहीं
इस बिल को लेकर जब बहुत बहस हुई तो किरेन रिजिजू ने कहा कि, हम प्रस्ताव करते हैं कि इस बिल को जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी को भेज दिया जाए. इस पर स्पीकर ने कहा कि हां, जल्द ही कमेटी बनाऊंगा. वहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर डिवीजन की मांग की. स्पीकर ने कहा कि इस पर डिवीजन कैसे बनता है. ओवैसी ने कहा कि हम तो शुरू से डिवीजन की मांग कर रहे हैं. किरेन रिजिजू ने कहा कि हम भागने वाले नहीं हैं. उन्होंने विधेयक पेश करते हुए कहा कि इस बिल को यहां से पास कर दीजिए. इसके बाद इसमें जो भी स्क्रूटनी करनी हो, हम तैयार हैं. ये बिल बनाकर आप जेपीसी को भेज दीजिए. हर दल के सदस्य उस कमेटी में हों, जो भी स्क्रूटनी करना चाहें, हम तैयार हैं.