scorecardresearch
 

वक्फ कानून पर हिंसक विरोध क्यों... क्या हिंसक सोच देश के लिए सबसे बड़ा खतरा?

देश में पर्व और त्योहार पर तनाव है, मंदिर-मस्जिद को लेकर तनाव है, अब तो संसद से बने कानून को लेकर भी तनाव है. आखिर हर मुद्दों में घुली सांप्रदायिकता की बीमारी की दवा क्या है? मतबल विरोध-प्रतिरोध तो ठीक है लेकिन इतनी नफरत क्यों, इतना क्रोध क्यों? सवाल बड़ा है, क्योंकि एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में सांप्रदायिक दंगों के ग्राफ में तेजी से उछाल आया है.

Advertisement
X
वक्फ कानून को लेकर अलग-अलग इलाकों में प्रदर्शन हो रहे हैं
वक्फ कानून को लेकर अलग-अलग इलाकों में प्रदर्शन हो रहे हैं

देशभर में वक्फ कानून को लेकर राजनीतिक और सामाजिक माहौल लगातार गरमाता जा रहा है. कहीं इस कानून के समर्थन में बोलने पर लोगों को पीटा जा रहा है, तो कहीं विरोध के नाम पर हिंसा और आगज़नी हो रही है. सड़क से सदन तक, वक्फ कानून को लेकर डराने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं. ये तब है जब वक्फ कानून का मामला देश की सबसे बड़ी अदालत में पहुंच चुका है. बड़ी बात ये है कि 15 या 16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून के खिलाफ डाली गई अर्जी पर सुनवाई होनी है.

उत्तर प्रदेश के संभल में जाहिद सैफी को इसलिए पीटा गया क्योंकि उन्होंने वक्फ कानून का समर्थन किया था. कानपुर में ओला टैक्सी ड्राइवर ने एक वरिष्ठ अधिकारी की इसलिए पिटाई कर दी क्योंकि वह फोन पर वक्फ कानून की चर्चा कर रहे थे. मणिपुर में बीजेपी नेता अली असगर का घर जला दिया गया क्योंकि उन्होंने इस कानून का समर्थन किया था. वहीं, जम्मू-कश्मीर विधानसभा में वक्फ कानून को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक आपस में भिड़ गए. 

मुर्शिदाबाद में हिंसक प्रदर्शन

इतना ही नहीं, मंगलवार को बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन उग्र हो गया और प्रदर्शनकारियों ने कई वाहनों को आग लगा दी. इसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागने पड़े. मुर्शिदाबाद के कुछ इलाकों में BNSS की धारा 163 लागू करनी पड़ी है. इन इलाकों में अगले 48 घंटों तक निषेधाज्ञा लागू रहेगी और किसी भी प्रकार के सामूहिक जमावड़े पर रोक होगी. एक वरिष्ठ जिला पुलिस अधिकारी के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव करना शुरू कर दिया और इसके बाद मची अफरातफरी में कुछ पुलिस वाहनों में भी आग लगा दी गई.

Advertisement

हिंसक सोच से कमजोर होगा आंदोलन?

अब सवाल उठता है कि आखिर इन मतभेद के बीच वाद और संवाद की जगह हिंसक सोच क्यों? क्या समाज में सहनशीलता घट रही है और साम्प्रदायिकता बढ़ रही है? क्या किसी मुद्दे पर वैचारिक मतभेद समाज में हिंसा को बढ़ावा दे रहा है? क्या भारत जैसे देश में हिंसा वाली सोच अब सबसे बड़ा खतरा है? सवाल इसलिए उठ रहे है क्योंकि इन तीन कृषि कानून का विरोध हुआ तो हिंसा की जगह सत्याग्रह की राह आंदोलनकारियों ने चुनी. सीएए का विरोध हुआ तो आंदोलनकारियों ने हिंसा की बजाय अहिंसात्मक प्रदर्शन की राह अपनाई. लेकिन वक्फ कानून के विरोध-प्रदर्शन के बीच कुछ जगह हिंसा की घटनाएं सामने आई. क्या हिंसक सोच, वक्फ कानून का विरोध कर रहे लोगों के आंदोलन को कमजोर कर सकता है? 

सांप्रदायिक हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी

इन किसी मुद्दे पर मनभेद और मतभेद के बीच वाद-संवाद तो ठीक है, लेकिन वाद संवाद की लक्ष्मण रेखा क्यों बार-बार टूट रही है. देश में पर्व और त्योहार पर तनाव है, मंदिर-मस्जिद को लेकर तनाव है, अब तो संसद से बने कानून को लेकर भी तनाव है. आखिर हर मुद्दों में घुली सांप्रदायिकता की बीमारी की दवा क्या है? मतबल विरोध-प्रतिरोध तो ठीक है लेकिन इतनी नफरत क्यों, इतना क्रोध क्यों? सवाल बड़ा है, क्योंकि एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में सांप्रदायिक दंगों के ग्राफ में तेजी से उछाल आया है. 

Advertisement

साल 2023 की तुलना में साल 2024 में सांप्रदायिक हिंसा 84 प्रतिशत बढ़ी है. Centre for Study of Society and Secularism की रिपोर्ट के मुताबिक 59 दंगों में से 49 दंगे बीजेपी शासित राज्यों में या फिर बीजेपी गठबंधन वाले राज्यों में हुए हैं. माना जा सकता है कि नेताओं के उकसाने वाले बयानों से समाज का ताना-बाना बिगड़ा है. फिर चाहे सत्ता पक्ष हो या फिर विपक्ष. फिर चाहे मंदिर-मस्जिद का मुद्दा हो या फिर औरंगजेब या राणा सांगा का.

विचारधारा पर यही टकराव समाज के आपसी भाईचारे की नींव को हिला रहा है. इसी टकराव का नया सेंटर प्वाइंट है वक्फ कानून. वक्फ कानून संविधान का उल्लघन करता है या नहीं. ये फैसला देश की सबसे बड़ी अदालत को करना है लेकिन फैसले से पहले ही वक्फ कानून को लेकर सियासी दलों के अपने-अपने फैसले जगजाहिर है. तो क्या सियासी मजबूरी है या फिर आज की राजनीति को देखते हुए जरूरी है, क्योंकि विचारधाराओं का यही टकराव आज राजनीति के धंधे में वोट के लिहाज से सबसे मुनाफे वाला फॉर्मूला है. मतलब सियासत के लिए कुछ भी.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement