राजस्थान की राजधानी जयपुर में सिविल सर्विसेज दिवस के मौके पर फेडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड एंड इंडस्ट्रीज द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सोमवार को शामिल हुए. इस दौरान धनखड़ ने कहा कि सिविल सेवाएं लोकतंत्र और विकास की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं, अगर इनमें भ्रष्टाचार फैली तो संघीय राजनीति के लिए खतरनाक होगा. अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग दलों की सरकारें होती हैं, जिससे सिविल सेवाओं की भारत जैसे देशों में भूमिक और अधिक महत्वपूर्ण बन जाती है.
जगदीप धनखड़ ने क्या कहा?
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि सिविल सेवक अगर राजनीतिक प्रणाली, नेताओं या इंडस्ट्री, व्यापार और वाणिज्य से जुड़े कुछ विशेष लोगों के साथ गठजोड़ बनाते हैं, तो यह पूरे सिस्टम को कमजोर कर देता है.
राजस्थान की प्रगति की संभावनाएं
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि राजस्थान में स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन और मिनरल्स, वस्त्रों, हस्तशिल्प, सेवा उद्योग, रिन्यूएबल एनर्जी और सोलर एनर्जी के क्षेत्र में आगे बढ़ने की अपार संभावनाएं हैं.
यह भी पढ़ें: क्या न्यायपालिका 'सुपर संसद' की तरह काम कर रही है? धनखड़ के सवालों के मायने क्या?
FORTI से धनखड़ की अपील
उन्होंने FORTI (फेडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड एंड इंडस्ट्री) जैसी संस्थाओं से राज्य के उत्पादों में वैल्यू एडिशन पर विचार-मंथन स्थापित करने का आह्वान किया.
जयपुर - वर्ल्ड क्लास सिटी
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जयपुर को वर्ल्ड क्लास सिटी बताते हुए कहा कि आईटी और सेवा उद्योग का केंद्र बनाने के क्षेत्र में विचार करने की जरूरत है. राजस्थान लोगों को गुणवत्तापूर्ण लाइफस्टाइल और खान-पान उपलब्ध कराने की क्षमता रखता है.
न्यायपालिका पर बयान को लेकर सुर्खियों में उपराष्ट्रपति
देश में संसद और अदालत के अधिकारों के दायरे को लेकर बहस तेज हो गई है. वक्फ कानून और तमिलनाडु गवर्नर मामले के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या अदालतें संसद के अधिकार क्षेत्र में दखल दे रही हैं, या संविधान की व्याख्या उनका अधिकार है?
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सुप्रीम कोर्ट को लेकर दिए गए बयान को लेकर सुर्खियों में हैं. उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा था कि अनुच्छेद 142 लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ एक न्यूक्लियर मिसाइल बन गया है, जो न्यायपालिका के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध है. धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले की आपत्ति जताई थी, जिसमें राज्यपाल की ओर से भेजे गए विधेयकों पर राष्ट्रपति को एक्शन लेने के लिए डेडलाइन तय करने की बात कही गई थी.