
अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा है कि उन्होंने मानवाधिकारों और अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर भारतीय मंत्रियों के साथ बातचीत की थी. ऑस्टिन ने शनिवार को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने तीन दिवसीय भारत दौरे की समाप्ति पर यह बात कही.
अमेरिकी रक्षा मंत्री से पूछा गया कि क्या उन्होंने भारत में मानवाधिकारों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की? लॉयड ऑस्टिन ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री से बात नहीं की. उन्होंने कहा, 'मुझे उनके साथ बात करने का अवसर नहीं मिला. लेकिन मैंने इस मुद्दे पर कैबिनेट के अन्य सदस्यों के साथ बातचीत की है.'
लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि भारत एक साझेदार देश है, जिसकी साझेदारी में अमेरिकी मूल्य निहित हैं. अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, 'मुझे लगता है कि साझेदार देशों को इस प्रकार की चर्चाओं के लिए सक्षम होने की आवश्यकता है, और निश्चित रूप से हम ऐसा करने में सहज महसूस करते हैं और आप उन चर्चाओं को बहुत सार्थक तरीके से कर सकते हैं और फिर भी आगे भी बढ़ सकते हैं.'
बता दें कि अमेरिकी सीनेट की विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष सीनेटर रॉबर्ट मेनेंडेज ने रक्षा मंत्री ऑस्टिन को लिखे एक पत्र में कहा था कि भारत सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों से दूर जा रही है.

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने सीनेटर मेनेंडेज की राय को शेयर किया, अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने राष्ट्रपति जो बाइडेन के उस बयान का उल्लेख किया कि जिसमें उन्होंने कहा था कि मानवाधिकार और कानून का शासन अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण है.
लॉयड ऑस्टिन ने कहा, 'हम हमेशा अपने मूल्यों के साथ चलते हैं, और एक लोकतंत्र के रूप में यह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. भारत एक लोकतांत्रिक देश है और वह भी अपने मूल्यों को भी संजोए हुए. ऐसी कई चीजें हैं जिस प र हम साथ मिलकर काम कर सकते हैं.'
भारत-चीन विवाद
अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सैन्य गतिरोध को लेकर मीडिया के सवालों का भी जवाब दिया. अमेरिका के आधिकारिक रुख का जिक्र करते हुए लॉयड ऑस्टिन ने कहा, 'हमने कभी नहीं सोचा था कि लद्दाख तनाव के कारण भारत और चीन युद्ध की दहलीज पर पहुंच जाएंगे. भारत और अमेरिका समान विचारधारा वाले देशों के साथ काम करना जारी रखेंगे और यही किसी भी चुनौती का मुकाबला करने का तरीका है.'
लॉयड ऑस्टिन ने कहा, हम क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए सही काम कर रहे हैं. हम वास्तव में एक स्वतंत्र और खुले भारत-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं. समान विचारधारा वाले देशों के साथ काम करना, जिनके साझा हित हैं, किसी भी क्षेत्र में किसी भी आक्रामकता से निपटने का यही तरीका है. हम आगे भी यही करेंगे.