इंडियन पॉलिटिक्स में कुछ शाश्वत हो न हो, नेताओं के बीच में क्लेश होना शाश्वत रहेगा. और इसे डेमोक्रेसी की खूबसूरती ही समझिए कि ये क्लेश सिर्फ पक्ष - विपक्ष के लोगों में ही नहीं, बल्कि एक पार्टी के अंदर ही हो जाता है. इसका ताज़ा उदाहरण है हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर और उन्ही की सरकार में गृह और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का टसल. कहा जा रहा है कि विज ने CMO के एक वरिष्ठ अधिकारी पर आपत्ति जताई, जिन्होंने पिछले महीने विज के बिना ही स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक की थी. इस बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि उन्होंने इस मामले पर विज से बात की है और मामला जल्द ही सुलझा लिया जाएगा. 2024 शुरु होने में लगभग एक महीने से भी कम का वक्त बचा है. आने वाला साल न सिर्फ लोकसभा चुनावों के लिहाज़ से अहम है बल्कि लोकसभा चुनावों के तुरंत बाद हरियाणा में भी विधान सभा चुनाव होंगे. ऐसे में राज्य के दो वरिष्ठ नेताओं के बीच में इस टसल की शुरुवात कहां से हुई, सुनिए 'दिन भर' में.
अब हरियाणा से 1280 किलोमीटर दूर तेलंगाना चलते हैं. मिज़ोरम, एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान के अलावा इस महीने के अंत तक तेलंगाना में भी विधान सभा चुनावों के लिए वोटिंग होगी. 2014 में जब तेलंगाना आंध्र प्रदेश से अलग राज्य बना, तब वहां सरकार बनी भारतीय राष्ट्रीय समिति की, मुख्यमंत्री बने KCR. पिछले 9 सालों से तो राज्य में KCR की ही सत्ता कायम है लेकिन कब तक रहेगी इस पर सवालिया निशान है. क्यों, क्योंकि... एंटी इनकंबेंसी जैसे मुद्दों को लेकर कांग्रेस और बीजेपी बीआरएस को जमकर घेर रहे हैं. इनके समीकरणों पर हमनें आज हमारे मॉर्निंग न्यूज़ एनालिसिस पॉडकास्ट में चर्चा की थी. अब हम बात करने वाले हैं उस पार्टी की जिसके नेता रीजनल से लेकर नेशनल पॉलिटिक्स में छाए रहते हैं. बात हो रही है AIMIM और असदुद्दीन ओवैसी की. कुछ दिन पहले असदुद्दीन ओवैसी के विधायक भाई अकबरुद्दीन ओवैसी ने चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे थे तेलंगाना के चंद्रयानगुटा. वहां वो रैली को संबोधित कर रहें थे. रात होने पर उन्हें भाषण खत्म करने की सूचना देने एक पुलिस अधिकारी मंच पर आए तो अकबरुद्दीन ने पुलिस वाले को लताड़ कर मंच से नीचे उतार दिया. राजनीति में और खास तौर पर तेलंगाना में, ओवैसी परिवार की लेगसी क्या रही है, कौन से क्षेत्रों में इनका राजनीतिक इन्फ्लूएन्स है, सुनिए 'दिन भर' में.
पश्चिम एशिया का एक देश है क़तर. पिछले महीने एक हैरान कर देने वाली ख़बर आई वहां से, जिसमें क़तर की एक अदालत ने इंडियन नेवी के आठ पूर्व अधिकारियों को मौत की सज़ा सुनाई थी. ये लोग एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे और अगस्त 2022 में इन्हें इजरायल के लिए जासूसी करने के आरोप में हिरासत में लिया गया था. भारत के विदेश मंत्रालय ने क़तर से आई इस ख़बर पर हैरानी जताई थी और इनके परिजनों को आश्वासन दिया था कि सरकार सभी कानूनी विकल्प तलाश रही है. अभी इंडिया टुडे को हाथ लगी जानकारी के मुताबिक, इन अफसरों की सजा के खिलाफ भारत सरकार ने एक याचिका दायर की है. जिसे कतर की अदालत ने स्वीकार कर लिया है और अब इस पर सुनवाई शुरू की जाएगी. इस मामले को डिटेल से सुनिए 'दिन भर' में.
आपको कोरोना का वक्त तो याद ही होगा. मरीजों से खचाखच भरे हॉस्पिटल्स, जहां न ऑक्सीजन सिलंडर मिल रहे थे, न बेड, न इलाज. ये महामारी इतनी भयंकर थी कि एक तरफ डॉक्टर्स बेबस और हताश थे, दूसरी तरफ मौत का आंकड़ा हर दिन नए रिकॉर्ड बना रहा था. लेकिन फिर ये महामारी खत्म हुई. केंद्र और राज्य सरकारों ने जनता को सुनिश्चित किया कि हॉस्पिटल्स में ऑक्सीजन से लेकर बेड्स तक, जिन भी चीजों की कमी हुई थी, उस पर काम किया जाएगा और ऐसी नौबत दोबारा नहीं आएगी. सरकार के सारे वादों से इतर आज आई एक रिपोर्ट. ये रिपोर्ट है ग्लोबल रियल एस्टेट कंसल्टेंट नाइट फ्रैंक की. अपनी रिपोर्ट में उन्होंने बताया है कि भारत के अस्पतालों में अभी तक बेड्स के कमी है. कम से कम ज़रूरत के हिसाब से देश में 1000 लोगों के हर ग्रुप पर तीन बेड्स की ज़रूरत है. लेकिन सोचिए, कि हमारे हॉस्पिटल्स में ये तीन बेड्स भी नहीं है. इस आंकड़े को डिटेल से, सुनिए 'दिन भर' में.