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जेलों में विचाराधीन कैदियों के मामले में दिल्ली अव्वल, इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में खुलासा

देश की 86 फीसदी जेलों में वीडीओ कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा है जबकि 78 फीसदी पुलिस थानों में कम से कम एक सीसीटीवी कैमरा लगा तो है. देश की अदालतों में महिला जजों की हिस्सेदारी 38 फीसदी है.

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जेलों में विचाराधीन कैदी
जेलों में विचाराधीन कैदी

न्यायपालिका और प्रशासनिक सुधारों की लिस्ट में दक्षिण भारत के तीन राज्यों ने दबदबा बनाया हुआ है. वहीं, पश्चिम बंगाल सबसे फिसड्डी है. 18 राज्यों में पश्चिम बंगाल से थोड़ा बेहतर उत्तर प्रदेश और फिर राजस्थान है. इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 में तेलंगाना पहले पायदान पर है, जबकि आंध्र प्रदेश दूसरे और कर्नाटक तीसरे स्थान पर है.

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हालांकि, न्यायपालिका और पुलिस में अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ी जातियों के कोटे के पदों पर शत प्रतिशत नियुक्तियां करने वाला कर्नाटक इकलौता राज्य है.

अदालतों में महिला जज

रिपोर्ट के मुताबिक, देश की 86 फीसदी जेलों में वीडीओ कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा है जबकि 78 फीसदी पुलिस थानों में कम से कम एक सीसीटीवी कैमरा लगा तो है. देश की अदालतों में महिला जजों की हिस्सेदारी 38 फीसदी है. कैदियों की क्षमता के मुकाबले 250 फीसदी ज्यादा कैदियों के बोझ से दबी 34 जेलों में आधे से ज्यादा यानी 18 उत्तर प्रदेश में हैं.

यह भी पढ़ें: पुलिस विभाग और न्यायपालिका में महिलाओं की क्या स्थिति? जानिए कौन से राज्य टॉप पर, इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में खुलासा

जेलों में विचाराधीन कैदियों के मामले में दिल्ली अव्वल है. यहां कुल कैदियों में 90 फीसद जबकि मध्य प्रदेश में ये आंकड़ा 60 फीसदी है.

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