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पहले हिंसा, फिर रोने-धोने का हाई वोल्टेज ड्रामा... तेलंगाना में कांग्रेस ने 9 बागियों को ऐसे मनाया

15 नवंबर को वापसी की समय सीमा पर अंतिम प्रयास के बाद, राजनीतिक दलों ने अधिकांश विद्रोहियों को तेलंगाना में चुनावी दौड़ से पीछे हटने के लिए सफलतापूर्वक मना लिया है. आदिलाबाद एकमात्र अपवाद है जहां बागी कांग्रेस उम्मीदवार संजीव रेड्डी ने चुनावी मैदान से हटने से इनकार कर दिया. बागियों के मान जाने से तेलंगाना में चुनावी परिदृश्य कुछ बदल गया है.

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तेलंगाना कांग्रेस ने विद्रोहियों को मनाया (फाइल फोटो)
तेलंगाना कांग्रेस ने विद्रोहियों को मनाया (फाइल फोटो)

एक तरफ तो बड़ी जीत का दावा और दूसरी तरफ बागियों से मान मनौव्वल. तेलंगाना में कांग्रेस की यही तस्वीर नजर आ रही है. फिर भी पार्टी की दाद देनी होगी कि नामांकन वापसी का आखिरी दिन रहते कांग्रेस नौ विद्रोहियों को मनाने में कामयाब रही है. 

15 नवंबर को वापसी की समय सीमा पर अंतिम प्रयास के बाद, राजनीतिक दलों ने अधिकांश विद्रोहियों को तेलंगाना में चुनावी दौड़ से पीछे हटने के लिए सफलतापूर्वक मना लिया है.

एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल व्यक्तिगत रूप से असंतुष्ट नेताओं के पास पहुंचे थे, जबकि एआईसीसी तेलंगाना प्रभारी माणिकराव ठाकरे वैकल्पिक पदों का वादा करते हुए 10 से अधिक विद्रोहियों के साथ चर्चा में लगे रहे. जिन नेताओं से संपर्क किया गया उनमें पटेल रमेश रेड्डी (सूर्यपेट), ए संजीव रेड्डी (आदिलाबाद), वेनेला अशोक (बोथ), जंगा राघव रेड्डी (वारंगल पश्चिम), विजया भाई (वायरा), गली अनिल कुमार (नरसापुर), डांडेम रामरेड्डी (इब्राहिमपटनम) शामिल रहे. इसके अलावा नेहरू नाइक (डोर्नकल), सुधाकर गौड़ (पालकुर्थी), गंगाराम (जुक्कल), कसुला बलराजू (बांसवाड़ा), उमेश राव (सिरसिला), और अन्य भी कतार में रहे. इस मान मनौव्वल के क्रम में हाई वोल्टेज ड्रामा भी खूब हुआ. पहले तो विद्रोही नेताओं के समर्थकों के संग मारपीट हुई और फिर रोने-गिड़गिड़ाने का क्रम भी चला. 

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खैर, तेलंगाना कांग्रेस ने कर्नाटक में पिछले अनुभवों से सीखी गई रणनीतियों को अपनाते हुए नौ विद्रोहियों को सफलतापूर्वक पीछे हटने के लिए मना ही लिया. आदिलाबाद एकमात्र अपवाद है जहां बागी कांग्रेस उम्मीदवार संजीव रेड्डी ने चुनावी मैदान से हटने से इनकार कर दिया. उधर, रमेश रेड्डी ने ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के उम्मीदवार के रूप में नामांकन किया था. नेताओं द्वारा उन्हें अगले साल के लोकसभा चुनाव के लिए टिकट देने का आश्वासन दिया, इसके बाद वह नामांकन वापस लेने पर सहमत हुए.

कांग्रेस की ओर से उन्हें टिकट नहीं दिए जाने पर रमेश रेड्डी और उनके परिवार के सदस्यों का रोते हुए एक वीडियो पिछले हफ्ते वायरल हुआ था. जब पार्टी ने रामरेड्डी दामोदर रेड्डी को टिकट देने का फैसला किया तो वे फूट-फूट कर रोने लगे. रमेश रेड्डी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में नलगोंडा से मैदान में उतरने के वादे पर 2018 के चुनाव में दामोदर रेड्डी के लिए टिकट का त्याग कर दिया था, लेकिन बाद में पार्टी ने उत्तम कुमार रेड्डी को मैदान में उतारा.

एक बार फिर टिकट नहीं मिलने से रमेश रेड्डी निराश हो गए और अपने परिवार के सदस्यों के साथ भावुक होकर रोने लगे. बुधवार को जब वरिष्ठ नेता मल्लू रवि और रोहित चौधरी रमेश रेड्डी के आवास पर गये तो रमेश रेड्डी और उनके परिवार के सदस्य भावुक हो गए. एआईसीसी के राष्ट्रीय सचिव रोहित चौधरी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लू रवि को पटेल रमेश रेड्डी के घर पर हिंसक विरोध का सामना करना पड़ा. नेताओं ने आधिकारिक उम्मीदवार रामरेड्डी दामोदर रेड्डी के लिए समर्थन मांगा. भावनात्मक दलीलों और मल्लू रवि पर हमलों के बीच, रेड्डी अंततः पीछे हट गए. ऐसे में उन्हें संसदीय चुनावों में एक और मौका देने का वादा किया गया. 2

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606 नामांकन खारिज होने के साथ, 30 नवंबर को होने वाले चुनाव में 2,898 उम्मीदवार मैदान में बचे हैं. मुख्य निर्वाचन अधिकारी विकास राज ने अस्वीकृति के लिए अनुचित हस्ताक्षर जैसे मुद्दों का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि प्रमुख पार्टियों के नामांकन अप्रभावित रहे.

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