तमिलनाडु (Tamilnadu) के पोल्लाची यौन शोषण अत्याचार मामले में आज कोर्ट ने फैसला सुनाया है. कोर्ट ने सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही, सभी पीड़ितों को मुआवजा दिया जाएगा. यह वही मामला है, जिसमें कोयंबटूर की एक महिला विशेष अदालत ने सभी नौ आरोपियों को दोषी पाया. साल 2019 के इस मामले में पुरुषों का एक गिरोह शामिल था, जो महिलाओं को झूठी दोस्ती में फंसाकर उनका यौन शोषण और ब्लैकमेल करता था.
महिला अदालत की अध्यक्षता कर रहीं जस्टिस नंदिनी देवी ने आरोपी थिरुनावुकारसु, सबरीसन, वसंत कुमार, सतीश, मणिवन्नन, हरनपॉल, बाबू, अरुलानाथम और अरुण कुमार को कानून की कई धाराओं के तहत दोषी ठहराया.
सूबे में हुआ था बड़ा आक्रोश
यौन उत्पीड़न का यह मामला शुरू में एक पीड़ित द्वारा चोरी की शिकायत के बाद लाइमलाइट में आया था. जांच के दौरान पता चला कि यौन शोषण का एक बड़ा संगठित मामला चल रहा था. इस मामले ने तमिलनाडु में बड़ा आक्रोश पैदा कर दिया, जब हमलों के वीडियो वायरल हो गए, जिसके बाद तत्कालीन सत्तारूढ़ अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) पर विरोध और राजनीतिक गर्माहट फैल गई.
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर एकजुट होकर इंसाफ और महिलाओं की सिक्योरिटी के लिए सुधार की मांग की थी.
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CBI की दी गई थी जांच की जिम्मेदारी
आपराधिक जांच विभाग द्वारा की गई जांच को बाद में बढ़ते दबाव के बाद सीबीआई को सौंप दिया गया. पूरे मुकदमे के दौरान सरकारी वकील ने 50 से ज़्यादा गवाह, 200 से ज़्यादा डॉक्यूमेंट्स और 400 डिजिटल सबूत पेश किए. आठ जिंदा बचे लोग गवाही देने के लिए अदालत के सामने पेश हुए और अभियुक्तों ने 50 सवालों के लिखित जवाब दिए.
सरकारी वकील सुरेंद्र मोहन ने फैसले के बाद मीडिया से बात करते हुए अदालत के फैसले की पुष्टि की और अभियोजन पक्ष की दलीलों की गंभीरता को जोर किया.
उन्होंने कह, "पोल्लाची यौन शोषण मामले में फैसला सुनाया गया है. कोर्ट ने सभी नौ आरोपियों को दोषी ठहराया है. उन्होंने अपनी उम्र और अपने माता-पिता की वृद्धावस्था का हवाला देते हुए नरमी बरतने की मांग की. हालांकि, हमने तर्क दिया कि यह महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों से जुड़ा एक बहुत ही दुर्लभ मामला है, और हमने अधिकतम सजा की मांग की है."