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तमिल एक्टर विजय की पार्टी पहुंची सुप्रीम कोर्ट, वक्फ संशोधन अधिनियम को दी चुनौती

तमिल फिल्म अभिनेता विजय की पार्टी तमिलगा वेट्ट्री कषगम यानी TVK ने वक्फ संशोधन अधिनियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. सीजेआई संजीव खन्ना की अगुवाई में तीन जजों की बेंच 16 अप्रैल को वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.

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वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर SC 16 अप्रैल को सुनवाई करेगा
वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर SC 16 अप्रैल को सुनवाई करेगा

तमिल फिल्म अभिनेता विजय की पार्टी तमिलगा वेट्ट्री कषगम यानी TVK ने वक्फ संशोधन अधिनियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. वहीं, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने महासचिव डी राजा के माध्यम से वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की है. अब सीजेआई संजीव खन्ना की अगुवाई में तीन जजों की बेंच 16 अप्रैल को वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ और समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में कई अर्जियां दाखिल हो चुकी हैं. 

उधर, वक्फ (संशोधन) अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं को चुनौती देते हुए राजस्थान सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है. राजस्थान सरकार ने वक्फ संशोधन कानून को जायज बताते हुए अपनी दलीलों के साथ पुराने कानून की खामियों को रेखांकित करते हुए उसमें किए गए बदलाव का बचाव किया है.

राजस्थान सरकार ने अपनी दलीलें रखने के लिए प्रतिवादी आवेदन यानी इंप्लीडमेंट एप्लिकेशन दायर की है. याचिका में राजस्थान सरकार ने दावा किया है कि इस मामले में उसका प्रत्यक्ष, पर्याप्त और कानूनी रूप से संरक्षित हित है. क्योंकि वह राज्य के भीतर वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और नियमन के लिए जिम्मेदार प्राथमिक कार्यकारी प्राधिकरण है.

राज्य सरकार ने वक्फ संशोधन अधिनियम को पारदर्शी और संवैधानिक रूप से सुदृढ़ सुधार बताया है. याचिका में कहा गया है कि इस कानून का उद्देश्य सरकारी और निजी भूमि को मनमाने ढंग से वक्फ संपत्ति के रूप में शामिल करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाना है. ये ऐसी प्रवृत्ति और प्रथा बन गई थी, जिसने कई मामलों में सार्वजनिक विकास और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पंगु बना दिया है.

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अन्य याचिकाओं में किए गए दावों के बिल्कुल उलट राजस्थान सरकार की याचिका में कहा गया है कि ये अधिनियम अनुच्छेद 25 और 26 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन कतई नहीं करता है. ये कानून ना ही संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत समानता के बुनियादी अधिकार का उल्लंघन करता है. राजस्थान सरकार ने इस मामले में एक विस्तृत हलफनामा दायर करने, तुलनात्मक कानूनी दृष्टिकोण और अनुभवजन्य आंकड़ों के साथ कोर्ट की सहायता करने की अनुमति मांगी है, ताकि नागरिकों को न्यायपालिका से पूर्ण न्याय मिल सके.

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