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सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार की मासूम से रेप और हत्या के दोषी की राहत अर्जी, सजा पर फिर होगी सुनवाई

चार साल की बच्ची से रेप और हत्या के दोषी वसंत संपत दुपारे की राहत अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया है. अदालत का कहना है कि उन्होंने इस याचिका को आर्टिकल 32 के तहत स्वीकार किया है और सुनवाई की अनुमति दी है. दुपारे ने अपनी राहत अर्जी में सजा की प्रक्रिया में खामियों का हवाला दिया है.

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सुप्रीम कोर्ट. (File Photo: ITG)
सुप्रीम कोर्ट. (File Photo: ITG)

सुप्रीम कोर्ट ने चार साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के दोषी वसंत संपत दुपारे की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की याचिका पर पुनः सुनवाई करने की सहमति दी है. ये मामला संवेदनशील और गंभीर प्रकृति का है, जिसने देशभर में ध्यान आकर्षित किया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत स्वीकार करते हुए सुनवाई की अनुमति दी है.

वसंत दुपारे ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उसकी मौत की सजा की पुष्टि होने पर सजा के दौरान परिस्थितियों को कम करने पर विचार करने की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को गंभीरता से लेते हुए मामले की दोबारा सुनवाई का फैसला किया. कोर्ट ने अपने पहले के निर्देशों का हवाला दिया, जिसमें मनोज बनाम मध्य प्रदेश राज्य मामले में परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश राज्य मामले पर होंगे. हालांकि, कोर्ट ने चेतावनी दी है कि निष्कर्ष निकालने गए मामलों को आर्टिकल 32 के तहत नियमित रूप से फिर से नहीं खोला जा सकता. ये राहत सिर्फ उन मामलों में दी जाएगी, जहां प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों का उल्लंघन हुआ है.

कोर्ट ने ये भी चेतावनी दी कि इस तरह की याचिकाओं का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए. हालांकि, दुपारे की दोषसिद्धि को बरकरार रखा गया है और मामला अब केवल सजा के मुद्दे पर विचार के लिए उपयुक्त सूची के लिए सीजेआई (CJI) के समक्ष रखा गया है.

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क्या है मामला

वसंत संपत दुपारे को चार साल की मासूम बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के जघन्य अपराध में दोषी ठहराया गया था. निचली अदालत और हाईकोर्ट ने उनकी सजा को बरकरार रखते हुए मौत की सजा सुनाई थी. इस मामले ने समाज में व्यापक आक्रोश पैदा किया था और ये सजा अपराध की गंभीरता को दर्शाती थी. हालांकि, दुपारे की ओर से दायर याचिका में सजा की प्रक्रिया में खामियों का हवाला दिया गया है, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट जांचेगा.

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