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Indian Railways: ट्रेन लेट के मामले में रेलवे पर 30 हजार रुपये जुर्माना, SC ने कहा- यात्री का समय अनमोल

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रेन चार घंटे लेट होने के साल 2016 के एक मामले में रेलवे पर तीस हजार रुपये जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने रेलवे को 30 हजार रुपये जुर्माना और उस पर 9 फीसदी सालाना की दर से ब्याज का भुगतान पीड़ित यात्री परिवार को अदा करने का आदेश दिया है.

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fine imposed on railways by Consumer forum
fine imposed on railways by Consumer forum

Railways to Pay Fine: ट्रेन लेट होने के कारण भारतीय रेलवे को 30 हजार रुपये जुर्माना देना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने ट्रेन चार घंटे लेट होने के साल 2016 के एक मामले में रेलवे पर तीस हजार रुपये जुर्माना लगाया है. दरअसल, एक परिवार को हवाई जहाज से सफर करना था लेकिन ट्रेन लेट होने की वजह से प्लाइट छूट गई थी. 

सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को अब तीस हजार रुपये जुर्माना और उस पर 9 फीसदी सालाना दर से ब्याज का भुगतान पीड़ित यात्री परिवार को अदा करने का आदेश दिया है. ये आदेश अलवर जिले के निवासी पीड़ित यात्री की शिकायत पर जिला, राज्य और राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत के आदेशों को मान्यता देते हुए दिया गया है.

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने पीड़ित यात्री संजय शुक्ला की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यात्री का समय भी अनमोल होता है. बिना कारण ट्रेन लेट होना गैरजिम्मेदारी है. 

क्या है पूरा मामला?

यह मामला 11 जून 2016 का है. संजय शुक्ला को परिवार सहित अजमेर-जम्मू एक्सप्रेस से जम्मू जाना था. ट्रेन अपने तय समय सुबह आठ बजकर दस मिनट की बजाय दोपहर बारह बजे जम्मू पहुंची. जबकि शुक्ला परिवार को बारह बजे की फ्लाइट से श्रीनगर उड़ान भरनी थी. वहां, उन्होंने होटल की भी बुकिंग करा रखी थी. ऐसे में ट्रेन लेट होने की वजह से उनकी फ्लाइट छूट गई और उन्हें 15 हजार रुपये खर्च करके टैक्सी से श्रीनगर जाना पड़ा. 

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कोर्ट ने उत्तर पश्चिम रेलवे को दिया ये आदेश

ट्रेन की लेट लतीफी के कारण शुक्ला परिवार को काफी नुकसान हुआ तो उन्होंने अलवर जिला अदालत में याचिका दायर की. जिसमें अदालत ने रेलवे को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके खर्च हुए रुपये के साथ पांच हजार रुपये मानसिक तनाव और मुकदमा खर्च के रूप में अदा करने का आदेश उत्तर पश्चिम रेलवे को दिया. वहीं, राज्य और राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत ने भी इसे उचित बताते हुए मंजूर किया. 

रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट में मामले को दी चुनौती

रेलवे ने अपनी गलती न मानते हुए सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग के फैसले को चुनौती दी. 
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में पीठ के सामने ASG ऐश्वर्या भाटी ने रेलवे नियमों की दुहाई देते हुए दलील दी कि ये तो स्थापित नियम है कि देरी की जिम्मेदारी रेलवे की नहीं है. लेकिन पीठ ने उनकी दलील को सही नहीं ठहराया और रेलवे को जुर्माना भरने का आदेश पारित कर दिया. 

 

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