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सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले से क्या बंद हो जाएगा बुलडोजर एक्शन? समझिए कहां-कहां नहीं है पाबंदी

सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दायर की गई याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा, "महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को रातों-रात सड़कों पर घसीटे जाते हुए देखना सुखद दृश्य नहीं है. अगर अधिकारी कुछ वक्त के लिए अपना हाथ थामे रहें, तो उन पर कोई आफत नहीं टूटेगी."

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बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सख्त टिप्पणी की है. अदालत ने कहा कि आरोपी या दोषी का घर नहीं गिराया जा सकता है, यह किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है. अदालत ने अपने फैसले की शुरुआत में कहा- 'अपना घर हो, अपना आंगन हो, इस ख्वाब में हर कोई जीता है. इंसान के दिल की ये चाहत है कि एक घर का सपना कभी न छूटे.' सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा कि इस मामले में मनमाना रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अधिकारी मनमाने तरीके से काम नहीं कर सकते. बगैर सुनवाई आरोपी को दोषी नहीं करार दिया जा सकता है. 

वहीं, दूसरी तरफ यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद बुलडोजर एक्शन पर पूरी तरह से लगाम लग जाएगी. ऐसे में जानते हैं कि किस तरह के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आज बताए गए निर्देश नहीं लागू होंगे. 

किन मामलों में नहीं लागू होगा आज का फैसला?

बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देश सड़क, फुटपाथ, रेलवे लाइन या जल निकाय पर अनाधिकृत कब्जे पर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश लागू नहीं होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हम साफ करते हैं कि ये निर्देश उन मामलों में लागू नहीं होंगे, जहां सड़क, गली, फुटपाथ, रेलवे लाइन से सटे या किसी नदी या जल निकाय जैसे किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई अनाधिकृत संरचना है." इसके अलावा कोर्ट ने आगे कहा कि आज का फैसला उन मामलों में भी लागू नहीं होंगा, जहां न्यायालय द्वारा ध्वस्तीकरण का आदेश दिया गया है.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "अधिकारियों को यह भी बताया जाना चाहिए कि अगर बुलडोजर एक्शन कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन पाया जाएगा, तो संबंधित अधिकारियों को नुकसान के भुगतान के अलावा ध्वस्त की गई संपत्ति की प्रतिपूर्ति के लिए अपने व्यक्तिगत खर्च पर जिम्मेदार ठहराया जाएगा.

यह भी पढ़ें: 'जिंदगी बीत जाती है घर बनाने में... हमें अल्लाह पर भरोसा था', बुलडोजर एक्शन पर 'सुप्रीम' फैसले का मदनी ने किया स्वागत

अदालत ने कहा कि बुलडोजर एक्शन का आदेश पारित होने के बाद भी, प्रभावित पक्ष को उचित मंच के समक्ष ध्वस्तीकरण के आदेश को चुनौती देने के लिए कुछ वक्त दिया जाना चाहिए. हमारा यह भी मानना ​​है कि ऐसे मामलों में भी जो लोग ध्वस्तीकरण के आदेश का विरोध नहीं करना चाहते हैं, उन्हें खाली करने  के लिए पर्याप्त वक्त दिया जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट यह भी कहा कि महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को रातों-रात सड़कों पर घसीटते हुए देखना सुखद दृश्य नहीं है. अगर अधिकारी कुछ वक्त के लिए अपना हाथ थामे रहें, तो उन पर कोई आफत नहीं टूटेगी.

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