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ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने क्या किया? अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा में बताया

खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि सरकार ने 2014 में टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम शुरू की थी, जिसके तहत कोर ग्रुप में चुने गए खिलाड़ियों को हर महीने 50 हजार और डेवलपमेंट ग्रुप में चुने गए खिलाड़ियों को 25 हजार रुपये की सहायता दी जाती है.

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खेल मंत्री अनुराग ठाकुर (फाइल फोटो-PTI)
खेल मंत्री अनुराग ठाकुर (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • राज्यसभा में अनुराग ठाकुर का जवाब
  • खेलो इंडिया से 3,000 खिलाड़ियों को मदद

टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में भारत ने अपना अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया है. इस बार भारत ने ओलंपिक में एक गोल्ड, दो सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज समेत कुल 7 मेडल जीते. इससे पहले 2012 के ओलंपिक (Olympics) में भारत ने 6 मेडल जीते थे. लेकिन ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों में भारत के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने क्या किया? इसको लेकर राज्यसभा (Rajya Sabha) में सवाल पूछा गया था, जिसका जवाब खेल मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने दिया. 

अनुराग ठाकुर ने बताया कि ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों में भारत के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए खेल मंत्रालय ने सितंबर 2014 में टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) शुरू की थी. अप्रैल 2018 में इस स्कीम में थोड़ा बदलाव भी किया गया था. उन्होंने बताया कि इस स्कीम के तहत कोर ग्रुप में चुने गए एथलीटों को हर महीने 50 हजार रुपये और डेवलपमेंट ग्रुप को 25 हजार रुपये का भत्ता दिया जाता है. फिलहाल, कोर ग्रुप में 162 एथलीट, हॉकी टीम (महिला-पुरुष दोनों) और डेवलपमेंट ग्रुप में 254 एथलीटों को शामिल किया गया है.

इस स्कीम के तहत खिलाड़ियों को टॉप कोच से कोचिंग, खेल से जुड़े इक्विपमेंट खरीदने में मदद की जाती है. साथ ही पेरिस, टोक्यो और लॉस एंजिल्स में होने वाले ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों में भाग लेने के लिए भी आर्थिक मदद दी जाती है. इसके अलावा खिलाड़ियों को सपोर्ट स्टाफ जैसे फिजियोथेरेपिस्ट और फिजिकल ट्रेनर्स भी दिए जाते हैं.

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उन्होंने बताया कि इस स्कीम के तहत सरकार ने 2018-19 में 14.31 लाख करोड़ रुपये खर्च किए थे. इसके बाद 2019-20 में 12.41 लाख करोड़ और 2020-21 में 15.65 लाख करोड़ रुपये खर्च किए थे. 2021-22 में 4 अगस्त तक स्कीम के तहत 12.48 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं.

सरकार ने मिशन ओलंपिक सेल (MOC) का भी गठन किया है, जो स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) के अंतर्गत काम करती है. इस सेल का काम TOPS के तहत चुने गए एथलीट की पहचान करना और उन्हें सपोर्ट करना है.

नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन को सहायता की स्कीम

अनुराग ठाकुर ने बताया कि सरकार अपनी नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन (NSF) को सहायता की स्कीम के जरिए ओलंपिक, एशियन और कॉमनवेल्थ जैसे खेलों की तैयारी करने वाले खिलाड़ियों को मदद देती है. इस स्कीम के तहत सरकार ट्रेनिंग कैम्प्स आयोजित करने के लिए फंड देती है. उन्होंने बताया कि इस स्कीम के तहत 2018-19 में 244 करोड़ रुपये दिए गए थे. 2019-20 में 301 करोड़, 2020-21 में 152 करोड़ और 2021-22 में 4 अगस्त तक 20 करोड़ रुपये से ज्यादा दिए जा चुके हैं.

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खेलो इंडिया का क्या है रोल?

खिलाड़ियों को तैयार करने में 'खेलो इंडिया' का रोल क्या है, इसको लेकर भी अनुराग ठाकुर ने बताया. उन्होंने बताया कि इस स्कीम के तहत सरकार 3 हजार खिलाड़ियों की सहायता कर रही है. इसके तहत एथलीटों को हर साल 6.28 लाख रुपये की सहायता दी जाती है, जिसमें ट्रेनिंग सपोर्ट के अलावा 10 हजार रुपये हर महीने का भत्ता भी शामिल है.

भविष्य का क्या है प्लान?

खेल मंत्री ठाकुर ने आगे बताया कि जिन खेलों में भारत ने पिछले एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीते हैं और जिनमें पेरिस (2024) और लॉस एंजिल्स (2028) में होने वाले ओलंपिक में मेडल जीतने की संभावना है, उन खेलों की एक हाई प्रायोरिटी कैटेगरी बनाई गई है, ताकि उन पर ज्यादा फोकस किया जा सके. इस कैटेगरी में 9 खेलों को शामिल किया गया है, जिसमें एथलीटक्स, बैडमिंडन, हॉकी, शूटिंग, टेनिस, वेटलिफ्टिंग, रेसलिंग, आर्चरी और बॉक्सिंग शामिल है.

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