अदानलत की अवमानना करने के आरोप में गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को साकेत कोर्ट ने शुक्रवार को सशर्त रिहा करने का निर्देश दिया. प्रोबेशन बॉन्ड और मुआवजा राशि अदा करने के बाद मेधा पाटकर को रिहा किया जाएगा. बता दें कि साकेत जिला अदालत से गैर जमानती वारंट जारी होने के 48 घंटों के भीतर दिल्ली पुलिस ने पाटकर को उनके निजामुद्दीन स्थित घर से शुक्रवार सुबह गिरफ्तार किया था. पाटकर के खिलाफ कोर्ट ने गुरुवार को ही दिल्ली के वर्तमान उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की अवमानना के मामले में जुर्माना लगाया था. उन्होंने जुर्माने की राशि नहीं अदा की थी, जिस पर कोर्ट ने उन्हें पेश होने के लिए कहा था. मेधा पाटकर ने पेश न होकर कोर्ट के आदेश की अवमानना की थी, इसी सिलसिले में उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था.
पुलिस ने पाटकर को साकेत कोर्ट में पेश किया, जहां उनके वकील ने कहा कि उन्हें सुबह 6 बजे रेलवे स्टेशन से उठाया गया था. वह प्रोबेशन बॉन्ड भरने की शर्तों को पूरा करने के लिए यहां आई थीं. अब वह यहां उपस्थित हैं. गैर जमानती वारंट का उद्देश्य उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करना था. यह उद्देश्य सौभाग्य या दुर्भाग्य से हो पूरा हो गया है. मेधा ने कहा कि मैं प्रोबेशन बॉन्ड देने और मुआवजा राशि अदा करने के लिए यहां हूं. एलजी वीके सक्सेना के वकील ने मेधा पाटकर के वकील की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि इस पूरे प्रकरण में लगातार मेधा पाटकर का कंडक्ट सही नहीं है. हालांकि, कोर्ट ने प्रोबेशन बॉन्ड और मुआवजा राशि अदा करने के बाद मेधा पाटकर को रिहा करने का आदेश दिया.
यह भी पढ़ें: मानहानि मामले में दोषी मेधा पाटकर के खिलाफ कोर्ट ने जारी किया गैर जमानती वारंट
मेधा पाटकर 25 साल पुराने केस में करार दी गई हैं दोषी
जुलाई 2024 में मेधा पाटकर को 2000 में दाखिल किए गए मुकदमे की सजा सुनाई गई थी. दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना द्वारा दायर मानहानि मामले में उनको दोषी ठहराया गया था. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) विशाल सिंह ने मेधा पाटकर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था तथा आगे की कार्यवाही के लिए मामले में 3 मई, 2025 की तारीख तय की थी. अपने आदेश में अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यदि अगली बार दोषी 8 अप्रैल को पारित सजा के आदेश की शर्तों का पालन करने में विफल रहता है, तो अदालत को सजा पर पुनर्विचार करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा और सजा के आदेश में बदलाव करना होगा.
मेधा पाटकर की ओर से बुधवार को एक आवेदन प्रस्तुत किया गया जिसमें उच्च न्यायालय में अपील लंबित होने के कारण मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को स्थगित करने की मांग की गई थी. न्यायालय ने उनका आवेदन खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि पाटकर के आवेदन में कोई दम नहीं है. हाई कोर्ट द्वारा पारित 22 अप्रैल, 2025 के आदेश में ऐसा कोई निर्देश नहीं है कि दोषी मेधा पाटकर को 8 अप्रैल, 2025 को पारित सजा संबंधी आदेश का पालन करना आवश्यक नहीं है. वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुई हैं. अदालत ने उन्हें 23 अप्रैल को पेश होने को कहा था. न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने तथा दिनांक 08/04/2025 के सजा के आदेश का पालन करने के बजाय, दोषी अनुपस्थित है तथा जानबूझकर सजा के आदेश का पालन करने तथा मुआवजा राशि प्रस्तुत करने के अधीन प्रोबेशन का लाभ लेने में विफल रहा है.
यह भी पढ़ें: LG वीके सक्सेना से जुड़े मानहानि केस में मेधा पाटकर को 5 महीने की सजा, देना होगा 10 लाख का जुर्माना
कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तारी
अदालत ने कहा कि दोषी मेधा पाटकर की मंशा स्पष्ट है कि वह जानबूझकर न्यायालय के आदेश का उल्लंघन कर रही हैं, वह न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने से बच रही हैं तथा अपने विरुद्ध पारित सजा की शर्तों को स्वीकार करने से भी बच रही हैं. इस कोर्ट ने 08/04/2025 को पारित सजा के निलंबन का कोई आदेश नहीं दिया है. न्यायालय के पास दोषी मेधा पाटकर को बलपूर्वक पेश करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. अगली तारीख तक दिल्ली पुलिस आयुक्त कार्यालय के माध्यम से दोषी मेधा पाटकर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करें. गैर-जमानती वारंट और आगे की कार्यवाही पर रिपोर्ट प्रस्तुत करना है. अदालत ने कहा कि 03/05/2025 को तय अगली तारीख पर, यदि दोषी 08 अप्रैल को सुनाई गई सजा के आदेश की शर्तों का पालन करने में विफल रहता है, तो न्यायालय को सजा पर पुनर्विचार करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा और सजा के आदेश में परिवर्तन करना होगा.
साकेत कोर्ट ने कहा, 'उच्च न्यायालय के समक्ष दायर आपराधिक पुनरीक्षण याचिका संख्या 129/2025 के लंबित रहने के मद्देनजर दोषी मेधा पाटकर की ओर से मामले को स्थगित करने के लिए एक आवेदन दायर किया गया है. आवेदन में कोई सार नहीं है; माननीय उच्च न्यायालय के दिनांक 22/04/2025 के आदेश में ऐसा कोई निर्देश नहीं है कि दोषी मेधा पाटकर को इस न्यायालय द्वारा पारित दिनांक 08/04/2025 के सजा के आदेश का पालन करने की आवश्यकता नहीं है. वर्तमान आवेदन केवल न्यायालय को धोखा देने के लिए तैयार किया गया है. इसलिए, वर्तमान आवेदन खारिज किया जाता है.'