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पुरी में मनाया गया भव्य स्नान यात्रा उत्सव... भगवान जगन्नाथ को 108 कलशों से कराया पवित्र स्नान

ओडिशा के पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धा और भक्ति से परिपूर्ण 'स्नान यात्रा' का भव्य आयोजन किया गया. भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के इस पवित्र स्नान पर्व में हजारों श्रद्धालु शामिल हुए. मंदिर परिसर में विशेष विधि-विधान के साथ देवताओं को 108 कलशों से स्नान कराए जाने की परंपरा पूरी श्रद्धा से निभाई गई.

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श्रीजगन्नाथ मंदिर में मनाया गया ‘स्नान यात्रा’ महापर्व. (Screengrab)
श्रीजगन्नाथ मंदिर में मनाया गया ‘स्नान यात्रा’ महापर्व. (Screengrab)

ओडिशा में पुरी स्थित विश्वप्रसिद्ध श्रीजगन्नाथ मंदिर में बुधवार को श्रद्धा और उल्लास के साथ भगवान श्रीजगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की ‘स्नान यात्रा’ (Snana Yatra) का आयोजन किया गया. यह पावन स्नान महोत्सव ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर हर साल मनाया जाता है, जिसमें भगवान को 108 कलशों से जलाभिषेक कर विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं.

एजेंसी के अनुसार, इस अवसर पर श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक अरविंद कुमार पाढ़ी और पुरी एसपी विनीत अग्रवाल ने बताया कि सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रखी गई थी. उन्होंने कहा कि मंदिर की परंपरा और श्रद्धालुओं की भावना को ध्यान में रखते हुए सभी व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित हुईं.

स्नान यात्रा में सबसे पहले भगवान श्रीजगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को गर्भगृह से बाहर लाकर ‘स्नान मंडप’ पर विराजमान कराया गया. इसके बाद विधि-विधान से पवित्र जल से अभिषेक किया गया. यह प्रक्रिया मंदिर के सेवायतों द्वारा पारंपरिक मंत्रोच्चार और वैदिक विधियों के अनुसार पूरी की गई.

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सेवायत सरत महंती ने बताया कि स्नान यात्रा के बाद भगवान को बीमार होने का प्रतीक मानते हुए ‘अनासर’ अवधि में आम श्रद्धालुओं के दर्शन बंद हो जाते हैं. इस दौरान भगवान को 'दशमूल औषधियों' से तैयार खास भोग और औषधियां दी जाती हैं, ताकि रथयात्रा के दिन पुनः स्वस्थ होकर भक्तों को दर्शन दें. पुरी में इस आयोजन के लिए देशभर से हजारों श्रद्धालु पहुंचे और उन्होंने स्नान यात्रा का पावन दृश्य देखा. यह पर्व न केवल आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि सांस्कृतिक एकता और परंपरा का प्रतीक भी है.

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