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'2029 में ही क्यों, 2026 में भी तो लड़ सकती हूं चुनाव...', पॉलिटिकल कमबैक पर स्मृति ईरानी का बड़ा इशारा

स्मृति ईरानी ने अपने पॉलिटिकल कमबैक पर बोलते हुए कहा कि बीजेपी 2029 में क्या कहें, ये ना तो मैं जानती हूं और ना आप जानते हैं. बीजेपी 2026 कुछ बोल दे... 2025 में कुछ बोल दे तो.

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स्मृति ईरानी. (Photo: ITG)
स्मृति ईरानी. (Photo: ITG)

बीजेपी की फायरब्रांड नेता और अमेठी की पूर्व सांसद स्मृति ईरानी ने आजतक से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने अपने पॉलिटिकल कमबैक को लेकर भी बात की है. उन्होंने कहा कि बीजेपी 2029 में क्या कहें, ये ना तो मैं जानती हूं और ना आप जानते हैं. BJP 2029 में ही क्यों कहेगी, बीजेपी 2026 कुछ बोल दे... 2025 में कुछ बोल दे तो.

उन्होंने कहा कि मेरे ये माना है कि मेरे बारे में चर्चाएं बहुत होती हैं. मेयर का चुनाव होगा तो मेरी बात आएगी, विधायक का चुनाव होगा तो मेरी बात आएगी. सांसद का चुनाव होगा तो भी मेरी बात आएगी, क्योंकि मेरा नाम स्मृति ईरानी है.

'49 में तो कई लोगों का कैरियर शुरू होता है'

उन्होंने कहा कि ये पॉलीटिकल रिटायरमेंट नहीं है. 49 की उम्र में लोगों का कैरियर शुरू होता है. मैं तो तीन बार की सांसद रह चुकी हूं. पांच विभागों की मंत्री रह चुकी हूं, अभी तो लंबा चलेगा. 

उन्होंने कहा कि पार्टी कब कहां क्या दायित्व देने ये मुझे नहीं पता. मुझे इतना पता है कि संसद के माध्यम से मैंने अपनी काबिलियत को साबित किया है.

'मैंने धरनों वाली पॉलिटिक्स भी की'

उन्होंने आगे कहा, 'मैंने 10 साल यूपीए की सरकार के वक्त भी राजनीति की है. बहुत सारे लोग मेरी धरने की दौरान वाली तस्वीरें भी देखी हैं. मैंने 10 साल धरनों वाली पॉलिटिक्स भी की है, जेल भी काटी है. मैंने अमेठी में उस वक्त भी काम किया जब यूपी में अखिलेश यादव की सरकार थी और मैंने अमेठी में चुनाव तब लड़ा जब देश में यूपीए की सरकार थी. मतलब मैं मौत के कुएं में छलांग... वो सब मैं कर चुकी हूं.'

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'कोई भी राजनेता नहीं चुनता हारी हुई सीट'

उन्होंने अमेठी का इतिहास बताते हुए कहा कि अमेठी कभी जीतने वाली सीट थी ही नहीं, अमेठी में कई राजनीतिक दिग्गज हारे, शरद यादव हारे. मनेका गांधी खुद हारी जो कि गांधी परिवार से हैं. गांधी परिवार ने उस सीट को चुना ही इस वजह से था, क्योंकि वहां का सामाजिक समीकरण ऐसा था कि जो वोट पड़े वो सिर्फ उस परिवार को पड़े. तो कोई भी समझदार राजनीति ऐसी सीट नहीं चुनता, जहां उसकी हार निश्चित हो. 

क्यों दी गई सीट?

अगर कोई सीट दी गई है तो उसे पार्टी के दायित्व के रूप में स्वीकार ना पड़ता है और होनी को अनहोनी कर दे, अनहोनी को होनी कर देने वाली परिस्थिति आपने 90 के दशक में देखी. क्योंकि 2014 में हारी थी, लेकिन 2014 से 2019 तक मैंने काम बहुत किया. कहीं-ना-कहीं लोगों में ये भाव था कि दीदी ने इतना काम किया है तो एक मौका देना चाहिए.

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