संसद में सोमवार से ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चर्चा होनी है और इसके लिए पक्ष-विपक्ष दोनों ओर से स्पीकर्स की लिस्ट सामने आ चुकी है. लोकसभा में इस विषय पर चर्चा के लिए 16 घंटे का वक्त तय किया गया है. लेकिन कांग्रेस की तरफ से वक्ताओं की लिस्ट में पार्टी के तेजतर्रार सांसद और पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर का नाम शामिल न होने पर बीजेपी सवाल उठा रही है.
थरूर का बोलने से इनकार
हालांकि अब सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि कांग्रेस पार्टी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के ऑफिस ने शशि थरूर से इस मुद्दे पर लोकसभा में बोलने के लिए पूछा था. लेकिन थरूर ने खुद ही बोलने से इनकार कर दिया. ऑपरेशन सिंदूर पर होने वाली विशेष चर्चा पर कांग्रेस की ओर से गौरव गोगोई, प्रियंका गांधी वाड्रा, दीपेंद्र हुड्डा, बिजेंद्र एस ओला, प्रणीति एस शिंदे, सप्तगिरि उलाका हिस्सा लेंगी.
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद विदेश का दौरा करने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में से एक ग्रुप की अगुवाई शशि थरूर कर रहे थे और उन्होंने विदेश में पुरजोर तरीके ऑपरेशन का समर्थन किया था. अब कांग्रेस की तरफ से उन्हें पार्टी लाइन का पालन करते हुए ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल उठाने को कहा गया था, जिसके लिए थरूर तैयार नहीं थे.
पार्टी लाइन पर राजी नहीं थरूर
शशि थरूर का साफ कहना था कि ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सरकार पर हमला करने के लिए वह पार्टी लाइन पर नहीं टिक सकते. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा है और वे इस पर कायम रहेंगे. हालांकि कांग्रेस पार्टी को यह लाइन कुबूल नहीं थी और शायद इसी वजह से कांग्रेस के वक्ताओं की लिस्ट में थरूर का नाम शामिल नहीं है.
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लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार की ओर से जिन वक्ताओं की लिस्ट जारी की गई है उनमें राजनाथ सिंह, बैजयंत पांडा, एस जयशंकर, तेजस्वी सूर्या, संजय जयसवाल, अनुराग ठाकुर, कमलजीत सहरावत का नाम शामिल है. चर्चा की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से की जाएगी.
कांग्रेस और थरूर के तल्ख रिश्ते
दरअसल 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई की थी, जिसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया था. इस ऑपरेशन के बाद केंद्र सरकार की ओर से 30 से ज्यादा देशों में सात अलग-अलग सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजे गए थे. इनमें से एक ग्रुप की अगुवाई शशि थरूर कर रहे थे, हालांकि कांग्रेस की ओर से उनका नाम इस डेलिगेशन के लिए नहीं भेजा गया था, बावजूद इसके सरकार ने उन्हें शामिल किया.
इसके बाद से ही कांग्रेस पार्टी और थरूर के बीच मतभेद शुरू हो गए. अपने विदेश दौरे पर भी कांग्रेस सांसद थरूर ने खुलकर ऑपरेशन सिंदूर की तारीफ की और इसे एक सफल ऑपरेशन बताया था. यही नहीं, थरूर ने कई मौकों पर सख्त फैसले लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी तारीफ की और इसी वजह से कांग्रेस से उनके रिश्ते तल्ख होते चले गए.
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कांग्रेस के कुछ नेताओं, यहां तक कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तक ने थरूर पर सवाल उठाए थे, जिसका उन्होंने उसी अंदाज में जवाब भी दिया. अब लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर की चर्चा में थरूर के शामिल न होने का फैसला, कांग्रेस के भीतर एक नई राजनीतिक बहस को शुरू करने वाला है.