तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि की सनातन पर की गई टिप्पणी पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा. अब इस विवाद पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव मनमोहन वैद्य ने कहा कि सनातन धर्म को खत्म करने की बात करने वालों को पहले इसका अर्थ समझना चाहिए.
आरएसएस की तीन दिवसीय समन्वय बैठक के अंत में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने देश का नाम सिर्फ भारत रखने की ही वकालत की. उन्होंने कहा कि देश का नाम भारत ही होना चाहिए, क्योंकि किसी और देश के दो नाम नहीं हैं.
सनातन विवाद के बारे में पूछे जाने पर वैद्य ने कहा, 'कुछ लोग सनातन धर्म को खत्म करने की बात कर रहे हैं, लेकिन क्या ये लोग इन शब्दों का असली मतलब जानते हैं? उन्हें ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करने से पहले सनातन धर्म की परिभाषा समझनी चाहिए.'
हाल ही में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम नेता उदयनिधि स्टालिन ने ये कहकर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था कि सनातन धर्म को खत्म कर देना चाहिए. डीएमके के एक अन्य नेता ए राजा ने सनातन धर्म की तुलना बीमारियों से कर दी थी.
डीएमके नेताओं की टिप्पणियों को राजनीतिक बताते हुए वैद्य ने कहा कि इतिहास में कई लोगों ने सनातन धर्म को खत्म करने की कोशिश की, लेकिन वो नाकामयाब रहे. उन्होंने कहा कि भारत में हर किसी को अपनी पूजा पद्धति चुनने की आजादी है, इसलिए देश में हमेशा आध्यात्मिक लोकतंत्र रहा है.
इंडिया बनाम भारत पर कही ये बात
इंडिया बनाम भारत बहस पर आरएसएस नेता वैद्य ने कहा कि भारत नाम का एक सभ्यतागत मूल्य है. उन्होंने कहा कि ऐसा कोई देश नहीं है जिसके दो नाम हों, इसलिए भारत को सिर्फ भारत ही कहा जाना चाहिए.
मणिपुर हिंसा पर क्या कहा?
मणिपुर में तीन मई से हिंसा जारी है. इस हिंसा पर उन्होंने कहा कि वहां की स्थिति चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि इस पर सरकार को फैसला लेना है. संघ के स्वयंसेवक मैतेई और कुकी, दोनों समुदायों के संपर्क में हैं.
आरक्षण के मुद्दे पर भी रखी बात
आरक्षण के मुद्दे पर वैद्य ने कहा कि समाज ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को शैक्षिक अवसरों और सम्मान से वंचित रखा है और इन समुदायों को साथ लेकर चलने के लिए संविधान के आधार पर आरक्षण दिया जाना चाहिए. वैद्य ने कहा, सामाजिक असमानता को खत्म करने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए.
मोदी सरकार के कामकाज पर वैद्य ने कही ये बात
मोदी सरकार के कामकाज को लेकर जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि 18 मई 2014 को ब्रिटिश अखबार द गार्डियन ने संपादकिय में लिखा था कि ये दिन इतिहास में दर्ज हो सकता है. अखबार ने उस दिन की तुलना आजादी के दिन से की थी.
उन्होंने कहा, 'अगर आप देखें, तो 2014 के बाद भारत धीरे-धीरे अपनी सांस्कृतिक पहचान पर खड़ा हो रहा है. भारत की विदेश, रक्षा और शिक्षा नीतियों में बड़े बदलाव देखे गए. दुनिया भी इन बदलावों को महसूस कर रही है.' उन्होंने कहा कि पहले जो हुआ उसे ठीक करने में 25-30 साल लगेंगे लेकिन अब हर किसी को लगता है कि सबकुछ सही दिशा में जा रहा है.
मकर संक्रांति के बाद राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा
अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को लेकर मनमोहन वैद्य ने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, मकर संक्रांति के बाद की कोई भी तारीख 'प्राण प्रतिष्ठा' या मूर्ति की स्थापना के लिए तय की जाएगी.
वैद्य ने बताया कि समन्वय बैठक में संकल्प लिया गया कि आरएसएस से जुड़े संगठन सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास करेंगे.
उन्होंने कहा, भारतीय दर्शन के अनुसार परिवार सामाजिक जीवन की सबसे छोटी इकाई है और परिवार में महिलाओं की भूमिका सबसे प्रमुख है. इसलिए महिलाओं को समाज के हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए.
उन्होंने ये भी बताया कि कोरोना से पहले 2020 तक देशभर में 38,913 जगहों पर आरएसएस की शाखा लगती थी. 2023 तक 42,613 जगहों पर शाखा लग रही है.