वरिष्ठ पत्रकार हुए, प्रभाष जोशी. हिंदी पत्रकारिता के छात्र, मास्टर उनका नाम आज भी बड़े अदब से लेते हैं. एक बात अक़्सर वे कहा करते… कि; 'हम जानेंगे, हम जिएंगे'. मतलब ये कि जीने के लिए जानना ज़रूरी है. लेकिन जानने का भी अधिकार हो सकता है? ये पता चला हमें साल 2005 में. लोग जो रोटी, कपड़ा, मकान, बिजली, पानी और सड़क अब तक मांगा करते थे, उन्होंने कहा, आप हमें जानकारी… सूचना दीजिए, बाकी हम देख लेंगे. न्यूनतम मजदूरी की मांग से शुरु हुई इक लड़ाई 15 जून, 2005 को सूचना का अधिकार कानून यानी आरटीआई एक्ट बनी. इसके बाद तो जैसे जानकारियों का अंबार लग गया, कितने ही घोटाले और भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ इस कानून के ज़रिए. और तो और, किसी को विधवा पेंशन न मिल रहा हो, ऐसा लगे कि उनके घर के सामने वाली सड़क बनाने में ठेकेदार ने पैसा दबा लिया है, लोग झटपट आरटीआई लगा देते थे. ऐसा नहीं है कि अब नहीं लगाते. अब भी लगाते हैं लेकिन कई आरटीआई एक्टिविस्ट, ऑपोजिशन के लीडर्स और अकादमिक दुनिया के लोग कहते हैं कि अब आरटीआई फाइल तो होती है लेकिन कई मामलों में जवाब कभी महीनों तो कभी कई बरसों तक नहीं आता. ये आरोप यूँ ही नहीं हैं, इसकी एक बानगी कल संसद में भी दिखी, जब भारत सरकार ने एक आंकड़ा दिया. सरकार ने बताया कि सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमीशन, जिसका काम है ये सूचना देना. उसके पास 15 दिसंबर, 2022 तक कुल 22,238 शिकायतें और दूसरी अपील पेंडिंग हैं. वहीं, इस बरस 15 दिसंबर तक करीब 20, 756 केस का निपटारा हुआ है. ये जो करीब 23 हजार केस पेंडिंग हैं आरटीआई से जुड़े, क्या ये सामान्य सी बात है या वाक़ई ये सिग्निफिकेन्ट हैं, RTI पेंडिंग क्यों रह जाती है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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पिछले दिनों भारत सरकार पर ये आरोप लगा कि उन्होंने कुछ चुनिंदा लोगों की निगरानी की, निगरानी पेगासस के ज़रिए करने की बात थी, पेगासस का ज़िक्र इसलिए किया क्योंकि इसका तार उसी इजराइल से जुड़ा है जिसके इर्द गिर्द मिडिल ईस्ट या फिर यूँ कहें कि वेस्ट एशिया की पूरी राजनीति घूमती है. लेकिन फिलहाल ये देश पिछले कई बरस से एक राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है. चुनाव दर चुनाव, फिर गठबंधन को लेकर तमाम कोशिश और प्रधानमंत्री का इस्तीफा, इजराइल में ये बड़ा आम हो गया है. पिछले पांच साल में पांच बार चुनाव हो गए. लेकिन स्टेबिलिटी नहीं आ पाई. अब फिर से चुनाव के बाद, सरकार बनाने को लेकर रज़ामन्दी हुई है, बिन्यामिन नेतन्याहू छठी बार प्रधानमंत्री बनने को तैयार हैं, अगले हफ़्ते आसार हैं इसके कि वे पीएम पद की शपथ ले लेंगे. लेकिन इस बार जब वे प्रधानमंत्री बन रहे हैं तो मामला थोड़ा पेचीदा है. कहा जा रहा है कि उनकी गठबंधन सरकार कई कट्टरपंथी पार्टियों के समर्थन से बन रही है, इसराइल के इतिहास में अब तक की सबसे अधिक दक्षिणपंथी सरकार बनने की बात क्यों हो रही है और इससे उस पूरे इलाके पर किस तरह का असर पड़ेगा और नेतन्याहू की वापसी क्या भारत इजराइल के बीच बढ़ते कोऑपरेशन में कुछ ऐड ऑन करेंगी या जो चीज़ें पहले से चली आ रही हैं, वो वैसे ही चलती रहेंगी? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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भारत-चीन के बीच कोर कमांडर लेवल की 17वें दौर की बातचीत 20 दिसंबर को हुई. ये बैठक चुशुल-मोल्दो बॉर्डर मीटिंग पॉइंट पर हुई. इससे पहले 17 जुलाई 2022 को पिछली बैठक हुई थी लेकिन उस समय तक सिर्फ गलवान वाला ही मुद्दा था. इस बार जब दोनों ओर के जवान आमने सामने बैठे तो हाल ही में तवांग में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प की याद ताज़ा थी. ऐसे में, इस बातचीत के दौरान दोनों पक्षों के बीच क्या सहमति बनी? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.