केंद्र सरकार ने बुधवार को देश के औद्योगिक और शहरी विकास को गति देने के लिए दो बड़े फैसले लिए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट्स (REPM) के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने वाली नई योजना को मंजूरी दी गई है. इस महत्वाकांक्षी योजना का कुल बजट ₹7,280 करोड़ तय किया गया है.
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस स्कीम में ₹6,450 करोड़ की बिक्री-आधारित प्रोत्साहन राशि शामिल है, जो अगले पांच वर्षों में उद्योगों को दी जाएगी. सरकार का मुख्य उद्देश्य है कि भारत रेयर अर्थ मैग्नेट्स के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने, क्योंकि वर्तमान में दुनिया के बड़े हिस्से की सप्लाई चीन नियंत्रित करता है.
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वैष्णव के अनुसार, रेयर अर्थ खनिज भारत के कई तटीय इलाकों और गुजरात और राजस्थान जैसे प्राचीन भूगर्भीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं. इनसे बनने वाले परमानेंट मैग्नेट्स का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, डिफेंस टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स, अंतरिक्ष अनुसंधान और हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग में होता है. सरकार का मानना है कि इस स्कीम से न केवल निवेश बढ़ेगा बल्कि हजारों रोजगार अवसर भी पैदा होंगे और भारत की रणनीतिक क्षमताएं मजबूत होंगी.
पुणे मेट्रो के विस्तार को मंजूरी
बैठक में दूसरा बड़ा फैसला पुणे मेट्रो के विस्तार को मंजूरी देना रहा. केंद्रीय कैबिनेट ने फेज-2 के तहत लाइन-4 (खराड़ी-हड़पसर-स्वार्गेट-खडकवासला) और लाइन-4A (नाल स्टॉप-वर्जे-मानिक बाग) को स्वीकृति दी है. इस परियोजना की अनुमानित लागत ₹9,857.85 करोड़ है और इसे पाँच वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
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रिहायशी क्षेत्रों को मिलेगी बेहतर मेट्रो कनेक्टिविटी
नई मेट्रो लाइनें लगभग 31.6 किलोमीटर लंबी होंगी और इनमें 28 एलिवेटेड स्टेशन विकसित किए जाएंगे. इससे पूर्व, पश्चिम और दक्षिण पुणे के आईटी पार्कों, व्यापारिक इलाकों, शिक्षा केंद्रों और घनी आबादी वाले रिहायशी क्षेत्रों को बेहतर मेट्रो कनेक्टिविटी मिलेगी. परियोजना का खर्च केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार और अंतरराष्ट्रीय फंडिंग एजेंसियों द्वारा संयुक्त रूप से वहन किया जाएगा.
सरकार का कहना है कि यह कदम न सिर्फ शहरी परिवहन को आधुनिक बनाएगा, बल्कि ट्रैफिक दबाव घटाने, प्रदूषण कम करने और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को तेजी देने में भी मदद करेगा.