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Monsoon Effects: मॉनसून के अलग-अलग रंग... कहीं आफत तो कहीं सूखी नदी को मिली लाइफलाइन

पहाड़ों पर इतनी बारिश हुई की लोगों की जान के लिए आफत बन गई. सिर्फ लोगों के लिए ही नहीं, ये बारिश कुछ खास जगह के लिए भी कहर साबित हुई जो सालों से वहां की पहचान बनी हुई है. हालांकि कहीं सालों से सूखी झीलें फिर जिंदा भी हो गई और देश की राजधानी दिल्ली की हवा इतनी साफ हो गई, जिसने सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया.

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monsoon effects
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अगस्त के महीने में हुई बारिश ने देशभर में बारिश की कमी के प्रतिशत को कम कर दिया है. महीने के पहले हफ्ते में जमकर बादल बरसे. 01 से 07 अगस्त के बीच पूरे भारत में 44 प्रतिशत से ज्यादा बारिश हुई है. इस सप्ताह में सामान्य 63.8 मिमी के मुकाबले कुल 92.1 मिमी बारिश दर्ज की गई. अगस्त के शुरुआत में अच्छी बारिश होने के कारण देशभर में बारिश की कमी घटकर अब महज 18 फीसदी रह गई है. जबकि जुलाई के अंत में यह आंकड़ा 25 फीसदी था. हालांकि इस बारिश का असर अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग देखने को मिल रहा है. कहीं बारिश जानलेवा बन रही है तो कहीं राहत दे रही है.

देशभर में बारिश का अलग-अलग असर

पहाड़ों पर इतनी बारिश हुई की लोगों की जान के लिए आफत बन गई. सिर्फ लोगों के लिए ही नहीं, ये बारिश कुछ खास जगह के लिए भी कहर साबित हुई जो सालों से वहां की पहचान बनी हुई है. हालांकि कहीं सालों से सूखी झीलें फिर जिंदा भी हो गई और देश की राजधानी दिल्ली की हवा इतनी साफ हो गई, जिसने सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया. आइये जानते हैं देशभर में मॉनसून का अलग-अलग हाल.

रेगिस्तान में जाग उठी नदी

बारिश, बहती नदी और रेगिस्तान... राजस्थान के बाड़मेर में एक दुर्लभ ट्राइफेक्टा देखा गया. जिससे देखकर स्थानीय लोग फूले नहीं समाए. तीन दिन की लगातार बारिश के बाद बुधवार को पश्चिमी राजस्थान जिले के समदड़ी कस्बे में नदी बह निकली. ऐसा पांच साल में केवल दूसरी बार हुआ. लूनी नदी को 'मरुगंगा' या राजस्थान की गंगा के नाम से भी जाना जाता है. जो अजमेर में अरावली पर्वतमाला में नाग पहाड़ी से निकलती है और गुजरात के कच्छ के रन में विलय होने से पहले राज्य के नौ जिलों से होकर बहती है. लेकिन भारी बारिश होने पर भी ये नदी मुश्किल से ही बाड़मेर तक पहुंचती है. बुधवार को ये दुर्लभ दृश्य नजर आने के बाद समदड़ी कस्बे के उत्साहित लोग नदी के आसपास जमा हो गए और महिलाओं ने लोक गीत गाए, जबकि पुरुषों ने ढोल की थाप पर डांस किया.

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हिमाचल में 100 लोगों की जान ले गया मॉनसून

हिमाचल प्रदेश में 27 जून को मॉनसून की शुरुआत के बाद से बारिश ने 100 लोगों की जान ले ली है और राज्य में यातायात बाधित है, यहां 97 सड़कें बंद हैं. राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, 30 लोगों की मौत ऊंचाई से गिरने से, 23 की दुर्घटनावश डूबने से, 14 की सांप के काटने से, 13 की बिजली के झटके से, 11 की बादल फटने से, तीन की आकस्मिक बाढ़ और एक की भूस्खलन से और पांच की अन्य कारणों से मौत हो गई. सबसे ज्यादा 21 मौतें मंडी में हुईं, इसके बाद कांगड़ा में 18 मौतें हुईं, जबकि शिमला और सिरमौर जिलों में नौ-नौ मौतें हुईं. वहीं, गुरुवार शाम तक मंडी में 40, कुल्लू में 26, शिमला में 15, कांगड़ा में छह, सिरमौर और लाहौल और स्पीति में चार-चार और हमीरपुर और किन्नौर जिलों में एक-एक सड़कें बंद रहीं. यहां आज भी भारी बारिश का अलर्ट है.

बिहार में उफान पर 5 नदियां

बिहार में लगातार बारिश के बाद प्रमुख नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. जल संसाधन विभाग ने कहा कि राज्य के कुछ इलाकों में मध्यम से भारी बारिश के कारण बागमती, गंडक, गंगा, कमला बलान और कोसी का जलस्तर बढ़ रहा है. पटना के गांधी घाट और इसके आसपास के ग्रामीण इलाकों में गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. वहीं, बागमती का जलस्तर मुजफ्फरपुर, गायघाट और आसपास के अन्य इलाकों में खतरे के निशान 48.68 मीटर को छू गया है. आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक आज भी कई जिलों में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है.

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दिल्ली की हवा 6 सालों में सबसे ज्यादा साफ

दिल्ली में हो रही बारिश ने यहां की हवा को साफ कर दिया है. केंद्र के वायु गुणवत्ता पैनल CAQM के अनुसार, दिल्ली में 2018 से 2024 के 1 जनवरी से 8 अगस्त के बीच गुरुवार को सबसे अच्छा एक्यूआई दर्ज किया गया, जो 53 रहा. जिसने पिछले 6 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शाम 4 बजे 53 की रीडिंग के साथ 'संतोषजनक' श्रेणी में दर्ज किया गया. बता दें कि शून्य और 50 के बीच एक AQI को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 और 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है.

इतिहास बन गया नैनीताल का लोकप्रिय पर्यटक स्थल

नैनीताल का लोकप्रिय पर्यटक स्थल टिफिन टॉप पर स्थित डोरोथी सीट कल रात भूस्खलन के बाद इतिहास बन गई. मंगलवार रात 11 बजे के करीब भारी भरकम बोल्डर टिफिन टॉप से नीचे आ गया. टिफिन टॉप में हर साल लाखों की तादाद में पर्यटक और स्थानीय नागरिक आते हैं और उस जगह से प्रकृति के खूबसूरत नजारों का आनंद लेते हैं. यह वो जगह थी, जहां पर खड़े होकर पर्यटक प्रकृति की सुन्दरता को निहारते थे. टिफ़िन टॉप पर डोरोथी सीट का निर्माण ब्रिटिश सेना के अधिकारी रहे कर्नल कैलेट ने अपनी पत्नी डोरोथी केली की याद में किया था.

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वायनाड में मॉनसून सबसे ज्यादा भारी

केरल के वायनाड में पिछले दिनों ऐसी लैंडस्लाइड हुई कि मरने वालों का आंकड़ा 400 के करीब पहुंच गया. आलम ये है कि शवों को सामूहिक रूप से दफनाया गया. वायनाड में आई आपदा का केंद्र इरुवाझिंझी नदी रही, जो लगभग 1800 मीटर की ऊंचाई पर है और तीन प्रभावित गांवों- व्यथरी तालुका में मुदक्कई, चूरलमाला और अट्टामाला से होकर बहती है. इसके बाद यह चलियार नदी में मिल जाती है. बारिश के बाद नदी के पानी में बढ़ोतरी हो गई और इसकी जल धाराएं ज्यादा तेज हो गईं. अधिकारियों का कहना है कि व्याथरी (Vythri) में 48 घंटों में लगभग 57 सेमी बारिश हुई, जिसके बाद इरुवाझिंझी में उफान आया और भूस्खलन हुआ. भूस्खलन का मलबा नदी में गिर गया और मलबे की एक दीवार बन गई. इसके बाद ऊपर की तरफ के गांव जलमग्न हो गए. ऊपर की पहाड़ियों से नदी में बहता भारी बारिश का पानी और ढलान आपदा की वजह बने.
 

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