लोकसभा चुनाव के 14 महीने के बाद विपक्षी इंडिया ब्लॉक के नेता संसद से बाहर एकजुट होंगे. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सात अगस्त को इंडिया ब्लॉक के नेताओं की अपने दिल्ली स्थिति आवास पर दावत रखी है. अभी तक विपक्षी नेताओं को सोनिया गांधी दस जनपथ में दावत देती रही है. मॉनसून सत्र के बीच इस बार राहुल गांधी ने 'डिनर डिप्लोमेसी' के जरिए विपक्षी एकजुटता को बनाए रखने का फैसला किया, ताकि मोदी सरकार को संसद से सड़क तक घेरा जा सके?
कांग्रेस विपक्षी किलेबंदी की अगुवाई करने के लिए डिनर डिप्लोमेसी अपनाने का फैसला किया है. इसके तहत राहुल गांधी ने सात अगस्त को डिनर आयोजित किया है, जिसमें तमाम विपक्षी दलों को बुलाया गया है. राहुल गांधी ने यह दावत ऐसे समय रखी है, जब अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो गई है. ऐसे में उपराष्ट्रपति और बिहार में चुनाव आयोग की विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर संयुक्त रणनीति तैयार करने की कवायद में राहुल गांधी है.
2024 के लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार है, जब इंडिया गठबंधन के नेता एकजुट हो रहे हैं. इससे पहले इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने 1 जून, 2024 के लोकसभा चुनाव परिणाम घोषित होने से ठीक तीन दिन पहले, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर बैठक की थी. इसके बाद 19 जुलाई, 2024 को, ब्लॉक ने परिणामों पर एक वर्चुअल बैठक की थी और फिर से उपस्थिति होने जा रहे हैं, जिसकी मेजबानी राहुल गांधी करेंगे.
राहुल गांधी की 'डिनर डिप्लोमेसी'
राहुल गांधी ने सात अगस्त को अपने आवास पर इंडिया गठबंधन के नेताओं को दावत देने का कदम मोदी सरकार को घेरने और विपक्ष की एकजुटता बनाए रखने की नींव रखने के लिए उठाया है. सूत्रों की माने तो राहुल गांधी की तरफ से इंडिया गठबंधन के घटकदलों के प्रमुख नेताओं को फोन करके डिनर के लिए आमंत्रित किया है.
लोकसभा चुनाव के बाद से ही कांग्रेस पर सवाल उठ रहा था कि इंडिया गठबंधन को एकजुट रखने के लिए सीरियस नहीं है. इसके लिए कांग्रेस को इंडिया ब्लॉक के कई नेताओं की आलोचना का सामना भी करना पड़ रहा था. ऐसे मे में राहुल गांधी ने विपक्षी इंडिया गठबंधन नेताओं को डिनर पर बुलाने के फैसले को एक अहम क्षण के रूप में देखा जा रहा है जो इंडिया गठबंधन को फिर से एकजुट होने का मौका दे सकता है.
हालांकि, एसआईआर के मुद्दे पर विभाजित इंडिया ब्लॉक को एक साथ लाने के लिए उन्होंने अहम रोल अदा किया था. इसका नतीजा था कि उन्होंने पिछले हफ्ते ही पहलगाम आतंकवादी हमले और ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद की स्थिति पर बहस को छोड़कर, इस मुद्दे पर संसद को चलने नहीं दिया है. विपक्ष एकजुट रहा, राहुल भी इंडिया गठबंधन के साथ मजबूती से खड़े रहे. अब इसे पूरी तरह से बरकरार रखने की स्ट्रैटेजी के लिए राहुल गांधी ने दावत रखी है ताकि मजबूती के साथ सदन से सड़क तक मोदी सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी जाए.
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त प्लान
इंडिया गठबंधन के नेताओं को दावत के बहाने राहुल गांधी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर एक संयुक्त रणनीति तैयार करने की स्ट्रेटेजी है. इसके अलावा 9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए एक संयुक्त उम्मीदवार उतारने पर चर्चा करने की योजना बना रहे हैं. राहुल गांधी की डिनर पार्टी में इन दोनों ही मुद्दों पर विपक्षी नेताओं के साथ मंथन और रणनीति बनाने की कवायद की जा सकती है.
विपक्ष बिहार में चुनाव आयोग की एसआईआर प्रक्रिया को लेकर लगातार सवाल उठा रहा है. राहुल गांधी के डिनर पार्टी के दूसरे बाद विपक्ष के नेता नई दिल्ली में एसआईआर के मुद्दे पर चुनाव आयोग के कार्यालय तक विरोध मार्च निकालेंगे. इंडिया ब्लॉक के दल बिहार में चल रही एसआईआर प्रक्रिया के खिलाफ प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं, जिसके बारे में उनका आरोप है कि इससे मतदाता सूची में पूरी तरह हेराफेरी की जा रही है. उनके अनुसार यह चुनाव आयोग की संवैधानिक भूमिका को दरकिनार करता है.
विपक्ष को एकजुटता करने की चुनौती
राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं, 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद उनकी छवि बदली है. राहुल गांधी को लेकर जिस तरह की इमेज थी, वो बदली है और विपक्षी नेताओं के बीच भी उनकी स्वीकार्यता बढ़ी है. संसद भवन के परिसर में एसआईआर के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन के दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ राहुल गांधी की सियासी केमिस्ट्री देखने को मिली थी.
कांग्रेस के लिए सभी दलों को एक बार फिर एकजुट करने और इस आलोचना से छुटकारा पाने का एक अवसर है कि वह सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी होने के बाद इंडिया गठबंधन को बनाए रखने के लिए पहल नहीं कर रही है. इसकी पहल राहुल गांधी कर रहे हैं, जिसके जरिए सियासी संदेश देने की स्ट्रैटेजी है.
SIR के मुद्दे पर एकता बनाने का मौका
विपक्ष संसद में दोनों सदनों की कार्य मंत्रणा समितियों की बैठक कर इस मुद्दे पर फिर से बहस की मांग करेगा. टीएमसी के राज्यसभा में संसदीय दल के नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा कि 'एसआईआर वोट चोरी' जैसे विषय पर दोनों सदनों में आसानी से चर्चा हो सकती है.विपक्ष ने आरोप लगाया है कि बिहार में वर्तमान में चल रही एसआईआर प्रक्रिया असंवैधानिक है और इसका उद्देश्य मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए गरीबों और वंचितों को बाहर करना है.
एसआईआर अब सभी राज्यों में आयोजित की जाएगी, इसलिए विपक्ष सदन में इस पर चर्चा की मांग कर रहा है. अगले साल 2026 में पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे प्रमुख विपक्षी शासित राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसलिए टीएमसी और डीएमके जैसी पार्टियां इस प्रक्रिया को लेकर चिंतित हैं. बिहार में आरजेडी और कांग्रेस पहले ही इस प्रक्रिया के खिलाफ हैं.
राहुल की डिनर पार्टी में कौन करेगा शिरकत
सात अगस्त को राहुल गांधी की डिनर पार्टी में सपा प्रमुख अखिलेश यादव, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के मौजूदगी कन्फर्म मानी जा रही है. इसके अलावा शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी राहुल की दावत में शिरकत करने की पुष्टि कर दी है. उद्धव ठाकरे 6 और 7 अगस्त को दिल्ली में रहेंगे और राहुल की दावत में शामिल होंगे. इसके अलावा शरद पवार की पार्टी एनसीपी, जेएमएम और अन्य इंडिया गठबंधन के नेताओं के भी शामिल होने की उम्मीद है.
वहीं, तमिलनाडु के सीएम और डीएमके के प्रमुख एमके स्टालिन अस्वस्थ बताए जा रहे हैं, लेकिन अगर उनकी सेहत ठीक रही तो राहुल गांधी की दावत में शिरकत कर सकते हैं. इसके अलावा टीएमसी के शामिल होने को लेकर तस्वीर साफ नहीं है जबकि आम आदमी पार्टी पहले ही खुद को इंडिया गठबंधन से बाहर कर चुकी है. टीएमसी के कांग्रेस के साथ बहुत अच्छे रिश्ते नहीं है, लेकिन बिहार में हुए एसआईआर के मुद्दे के बाद ममता बनर्जी का नजरिया बदला है.
विपक्ष संसद में दोनों सदनों की कार्य मंत्रणा समितियों की बैठक कर इस मुद्दे पर फिर से बहस की मांग करेगा. टीएमसी के राज्यसभा में संसदीय दल के नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा कि 'एसआईआर वोट चोरी' जैसे विषय पर दोनों सदनों में आसानी से चर्चा हो सकती है.विपक्ष ने आरोप लगाया है कि बिहार में वर्तमान में चल रही एसआईआर प्रक्रिया असंवैधानिक है और इसका उद्देश्य मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए गरीबों और वंचितों को बाहर करना है.
राहुल गांधी अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने में जुटे
लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता के चलते ही बीजेपी बहुमत का आंकड़ा हासिल नहीं कर सकी थी. सत्ता में नहीं आने के चलते इंडिया गठबंधन में मनमुटाव 2024 के बाद हुए विधानसभा चुनाव से शुरू हुए हैं, जिसके लेकर सपा और आम आदमी पार्टी ने अपनी नाराजगी जाहिर की थी. सपा का हरियाणा में इंडिया गठबंधन के तहत सीट नहीं मिल सकी थी. अखिलेश यादव ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी.
आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस के रिश्ते 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद ही खराब हो गए थे, जिसके बाद हरियाणा और दिल्ली चुनाव में उनके रिश्ते बिगड़ गए थे. आखिरकार मॉनसून सत्र से पहले आम आदमी पार्टी ने सार्वजनिक रूप से ऐलान कर दिया. संसद में कांग्रेस के अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन के साथ खड़ी नजर नहीं आई.
2024 के बाद से ही 'इंडिया गठबंधन' के बिखरने की कयास लगाए जाने लगे थे और लोकसभा चुनाव के बाद से एकजुटता दिखाने के लिए संघर्ष कर रहा. ऐसे में कई मौके पर इंडिया गठबंधन कई मुद्दों पर विभाजित दिखाई दिया, विशेष रूप से अडानी-हिंडनबर्ग विवाद पर, जहां कुछ दलों ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले नेतृत्व का समर्थन नहीं करने का फैसला किया था. हालांकि, अब एसआईआर के मुद्दे पर बिखरा हुआ विपक्ष एकसाथ आया है, जिसे अमलीजामा पहनाने के लिए राहुल गांधी ने डिनर डिप्लोमेसी का दांव चला है.