घरेलू कामगार से बलात्कार के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व हासन सांसद प्रज्वल रेवन्ना ने इस फैसले को कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी है. निचली अदालत ने 2 अगस्त को रेवन्ना को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद और 11 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई थी. यह राशि पीड़िता को मुआवजे के रूप में देने का आदेश दिया गया था.
रेवन्ना ने अपनी अपील में अभियोजन पक्ष की दलीलों और पुलिस जांच पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि इस मामले में FIR घटना के तीन साल बाद दर्ज की गई, जिससे पूरे मामले की विश्वसनीयता पर संदेह होता है. उन्होंने यह भी कहा कि जिस महिला ने उनके खिलाफ आरोप लगाए, वह 2023 में उनके फार्महाउस के गृहप्रवेश कार्यक्रम में शामिल हुई थी, जबकि घटना 2020 की बताई जा रही है. उनके मुताबिक यह तथ्य खुद आरोपों को कमजोर करता है.
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रेवन्ना के वकीलों ने यह भी दलील दी कि पुलिस जांच में कई खामियां रहीं. बचाव पक्ष ने कहा कि जिस मोबाइल फोन में कथित तौर पर हमले का वीडियो था, उसे कभी जब्त ही नहीं किया गया. इसके अलावा, जिस कमरे से वीर्य से सने कपड़े बरामद करने का दावा किया गया, उसकी फॉरेंसिक रिपोर्ट में विरोधाभास है. महिला ने भी पुलिस द्वारा बरामद बैग और कपड़ों की पहचान नहीं की, जिससे सबूतों की प्रामाणिकता पर सवाल उठता है.
मामले को बताया राजनीति से प्रेरित
अपील में यह भी कहा गया कि अभियोजन पक्ष राजनीतिक मकसद से प्रेरित था और FIR दर्ज करने से लेकर सबूत इकट्ठा करने तक कई स्तरों पर गंभीर चूक हुई. रेवन्ना ने हाई कोर्ट से निचली अदालत का फैसला रद्द करने और उन्हें बरी करने की मांग की है.
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निचली अदालत ने रेवन्ना को पाया था दोषी
उधर, निचली अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि अभियोजन पक्ष ने पर्याप्त सबूत पेश किए और वीडियो, फॉरेंसिक सामग्री और गवाहों के बयानों से रेवन्ना की भूमिका साबित होती है. अब हाई कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होगी, जहां रेवन्ना की अपील पर विचार किया जाएगा.