
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिन के अमेरिका दौरे पर हैं. पीएम मोदी के इस दौरे पर दुनियाभर की नजर है. इसकी वजह भारत और अमेरिका के बीच बेहतर होते रिश्ते हैं. न्यूयॉर्क रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने एक इंटरव्यू में भारत-अमेरिका रिश्तों पर अपनी बात रखी. पीएम मोदी ने कहा, दोनों देशों के रिश्ते पहले से कहीं ज्यादा मजबूत और गहरे हुए हैं, क्योंकि भारत भू-राजनीतिक उथल-पुथल के दौर में वैश्विक मंच पर अपनी सही जगह सुरक्षित करने के लिए आगे बढ़ रहा है.
भारत और अमेरिका के बीच बेहतर होते संबंधों के बीच पीएम मोदी के इस दौरे को काफी अहम माना जा रहा है. पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के न्योते पर अपने पहले राजकीय दौरे पर पहुंचे हैं. राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में सिर्फ दो देशों के नेताओं को ही इस 'स्टेट विजिट' के लिए आमंत्रित किया गया. पीएम मोदी से पहले फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल को स्टेट विजिट का न्योता दिया गया.
पीएम मोदी का ये दौरा ऐसे वक्त पर हो रहा है, जब यूक्रेन और रूस युद्ध पर भारत की तटस्थता को लेकर अमेरिका के साथ खटपट होती रही है. खुद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कई बार कहा कि रूस को लेकर भारत का रवैया 'ढुलमुल' रहा है. लेकिन यह पहली बार नहीं था, जब भारत और अमेरिका के रिश्तों के बीच में खटास आई हो. इससे पहले चाहे 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध हो या परमाणु परीक्षण का मुद्दा अमेरिका और भारत के रिश्ते अपने सबसे बुरे दौर तक पहुंच चुके हैं. आइए जानते हैं कि भारत और अमेरिका के बीच कब कैसे रिश्ते रहे और असली यू टर्न कब आया?
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आजादी के बाद से 1965 तक भारत और अमेरिका के रिश्ते घनिष्ठ थे. 1949 में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू संयुक्त राज्य अमेरिका के दौरे पर पहुंचे थे. तब उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन के साथ मुलाकात भी की थी. 1959 में अमेरिकी राष्ट्रपति ड्वाइट आइजनहावर भारत दौरे पर आए थे. उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू से मुलाकात की थी और भारतीय संसद को संबोधित किया था.

जब 1962 में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर युद्ध हुआ, तो प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने संयुक्त राज्य अमेरिका से मदद मांगते हुए राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी को पत्र लिखा था. इसके बाद अमेरिका ने इस युद्ध में भारत का समर्थन किया था और मैकमोहन रेखा को सीमा के रूप में मान्यता दी थी. 1965 में भारत और पाकिस्तान युद्ध तक अमेरिका और भारत के बीच रणनीतिक और सैन्य संबंध घनिष्ठ बने रहे.
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में तीसरा युद्ध हुआ. दिसंबर 1971 में पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा और बांग्लादेश का गठन हुआ. पूर्वी पाकिस्तान में अपने ही नागरिकों के खिलाफ पाकिस्तानी सेना की हिंसा के पर्याप्त सबूत थे. इसके बावजूद अमेरिका ने इस्लामाबाद का पक्ष लिया. वहीं, रूस भारत के साथ खड़ा था. इस युद्ध के बाद से भारत और रूस करीब आते चले गए और अमेरिका से रिश्तों में खटास आ गई.
भारत ने 1974 में पहला परमाणु परीक्षण किया. इसके साथ ही भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों के अलावा परमाणु क्षमता घोषित करने वाला पहला देश बन गया. भारत का यह कदम अमेरिका को पसंद नहीं आया. उसने इसका विरोध किया. इसके बाद भारत और अमेरिका के रिश्ते और बिगड़ते चले गए.

1978 में अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर तीन दिन के दौरे पर भारत आए. उन्होंने भारत के राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी और प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई से मुलाकात की और संसद को संबोधित किया. इसके बाद जून में मोरारजी देसाई अमेरिका के 6 दिन के दौरे पर गए.
इसी साल कार्टर प्रशासन न्यूक्लियर नॉनप्रॉलीफेरेशन (परमाणु अप्रसार) एक्ट लाया. इसका उद्देश्य परमाणु हथियार और हथियार प्रौद्योगिकी के प्रसार को रोकना, परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना और निशस्त्रीकरण के लक्ष्य को आगे बढ़ाना है. भारत ने इस पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिए. इसके बाद अमेरिका ने भारत को किसी भी प्रकार की परमाणु सहायता बंद कर दी.
1982 में इंदिरा गांधी दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने के लिए अमेरिका की यात्रा पर गईं. इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन से मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच सहयोग बढ़ाने और परमाणु ऊर्जा पर विवाद को हल करने पर सहमति बनी. व्हाइट हाउस में अपने भाषण के दौरान इंदिरा ने अमेरिका और भारत के बीच मतभेदों पर भी प्रकाश डाला.
इसके बाद 1990 में जब भारत में आर्थिक सुधार की दिशा में कदम उठाए गए, तो उसके बाद अमेरिका से नजदीकियां बढ़नीं तब शुरू हो गईं. लेकिन दशक के अंत यानी 1999 में परमाणु परीक्षण किया तो अमेरिका ने इसका विरोध किया. अमेरिका ने भारत पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगा दिए. उस वक्त अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन थे.
1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच करगिल युद्ध हुआ. इस युद्ध में पाकिस्तान की हालत खस्ता हो गई और तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ ने अमेरिकी राष्ट्रपति क्लिंटन से मदद की गुहार लगाई. अमेरिकी दखल के बाद भारत ने पाकिस्तान पर हमले बंद किए. इसके बाद मार्च 2000 में बिल क्लिंटन भारत दौरे पर आए. यह 1978 के बाद किसी राष्ट्रपति की पहली यात्रा थी. इसके बाद भारत और अमेरिका के रिश्तों में फिर से सुधार की शुरुआत हुई.

- अमेरिका और भारत के रिश्तों के लिए साल 2001 काफी अच्छा रहा. राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के प्रशासन ने 1998 के परमाणु परीक्षण के बाद भारत पर लगाए गए सभी अमेरिकी प्रतिबंधों को हटा दिया. इसके साथ ही भारत और अमेरिका के रिश्ते बेहतर होने शुरू हो गए.
- 2005 में अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस भारत दौरे पर आईं. इस दौरान भारत और अमेरिका के बीच ऊर्जा सुरक्षा पर बातचीत शुरू हुई.
- इसी साल जून में अमेरिका और भारत ने रक्षा संबंध के लिए नए ढांचे पर हस्ताक्षर किए. इसमें समुद्री सुरक्षा, मानवीय सहायता-आपदा राहत और आतंकवाद का मुकाबला करने में रक्षा सहयोग जैसे मुद्दे शामिल थे. इसी साल अक्टूबर में दोनों देशों की नेवी ने एक बड़ा युद्धाभ्यास किया.
- जॉर्ज बुश के राष्ट्रपति रहते भारत और अमेरिका ने नागरिक परमाणु सहयोग पहल पर हस्ताक्षर किए. समझौते के तहत, भारत अपनी असैन्य और सैन्य परमाणु सुविधाओं को अलग करने और अपने सभी नागरिक संसाधनों को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के सुरक्षा उपायों के तहत रखने के लिए सहमत हुआ. इसके बदले मे अमेरिका भारत के साथ पूर्ण असैन्य परमाणु सहयोग की दिशा में काम करने के लिए सहमत हुआ.

- 2006 में जॉर्ज बुश भारत दौरे पर आए. इस दौरान भारत के पीएम मनमोहन सिंह ने असैन्य परमाणु समझौते की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया और सुरक्षा और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा दिया. जुलाई 2007 में ये परमाणु समझौता पूरा हुआ. इसी के साथ भारत अप्रसार संधि के बाहर एकमात्र ऐसा देश है, जिसके पास परमाणु क्षमता है और उसे न्यूक्लियर कॉमर्स में भाग लेने की अनुमति है.
- अप्रैल 2007 में भारतीय आमों की पहली खेप अमेरिका पहुंची. इसी के साथ फलों के आयात पर 18 साल का प्रतिबंध भी खत्म हो गया. यह प्रतिबंध दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति बुश और भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा 2006 में एक समझौते पर हुए हस्ताक्षर के तहत हटाया गया. इसके जवाब में भारत ने अमेरिका से हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिलों के आयात पर प्रतिबंधों में ढील दी.
- 2008 में परमाणु निर्यात के लिए गाइडलाइन जारी करने वाले परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) ने अपने नियमों में ढील देते हुए भारत को तीन दशक में पहली बार परमाणु व्यापार करने की अनुमति दी.
नवंबर 2009 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह की राजकीय यात्रा की मेजबानी की.
- 2010 में अमेरिका और भारत औपचारिक रूप से पहली अमेरिका-भारत सामरिक वार्ता में शामिल हुए. भारत की ओर से उच्च अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल ने वॉशिंगटन डीसी का दौरा किया. इस दौरान अमेरिकी सचिव हिलेरी क्लिंटन ने भारत को जरूरी भागीदार बताते हुए तारीफ की. इस दौरान राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि ये संबंध 21वीं सदी में एक परिभाषित साझेदारी होंगे.

- इसी साल बराक ओबामा भारत दौरे पर आए और उन्होंने संसद को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत की मांग का समर्थन किया. यह यात्रा के दौरान दोनों देशों के आर्थिक संबंध और बेहतर हुए. इस दौरान ओबामा ने 14.9 बिलियन डॉलर की ट्रेड डील का भी ऐलान किया.
- 2013 में मनमोहन सिंह भारत के प्रधान मंत्री के रूप में अमेरिका की अपनी अंतिम यात्रा में वाशिंगटन गए. यात्रा के दौरान सुरक्षा, व्यापार, आव्रजन सुधार और असैन्य परमाणु समझौते पर बात हुई.
2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को बहुमत मिला. नरेंद्र मोदी देश के पीएम बने. इस दौरान मोदी को बधाई दी और वीजा प्रतिबंध को हटाते हुए उन्हें व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया. गुजरात दंगों के बाद अमेरिका ने पीएम मोदी के वीजा पर रोक लगा दी थी.
- सितंबर 2014 में पीएम के तौर पर नरेंद्र मोदी पहले अमेरिका दौरे पर गए. पीएम का ये दौरा निवेश को आकर्षित करने और अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर केंद्रित था. इस दौरान दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए.

- 2015 में ओबामा अपने दूसरे दौरे पर भारत आए. वे गणतंत्र दिवस समारोह पर मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करने पहुचे थे. इस दौरान बराक ओबामा ने कहा, अमेरिका भारत का सबसे अच्छा भागीदार हो सकता है.
- 2016 में पीएम मोदी फिर अमेरिका दौरे पर पहुंचे. इस दौरान अमेरिका राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत को एक प्रमुख रक्षा भागीदार बताया.
- जून 2017 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और प्रधान मंत्री मोदी की व्हाइट हाउस में मुलाकात हुई. इस दौरान दोनों नेताओं ने रक्षा साझेदारी को मजबूत करने, आतंकवाद विरोधी प्रयासों में सहयोग करने और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने पर जोर दिया.
- 2018 में दिल्ली और अमेरिका के बीच टू प्लस टू वार्ता हुई. इस दौरान संचार संगतता और सुरक्षा समझौता पर हस्ताक्षर हुए.

- 2020 में डोनाल्ड ट्रम्प अपने पहले भारत दौरे पर आए. उन्होंने इस दौरान अहमदाबाद में एक जनसभा को भी संबोधित किया. इस दौरान ट्रम्प ने अमेरिका-भारत संबंधों और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की तारीफ की. इस दौरान दोनों नेताओं ने मेंटल हेल्थ और ड्रग्स के खिलाफ साथ मिलकर काम करने का ऐलान किया. इस दौरान भारत ने अमेरिका के साथ 3 बिलियन डॉलर में सैन्य उपकरणों को खरीदने के लिए डील पर हस्ताक्षर किए.

सितंबर 2021 में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पहले QUAD शिखर सम्मेलन की मेजबानी की. QUAD चार देशों का संगठन है- ये देश हैं भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका. चीन की विस्तारवादी नीतियों से निपटने के लिए इसका गठन किया गया है. पीएम मोदी भी इस QUAD समिट में शामिल हुए.
- 2023 में अमेरिका और भारत ने क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (आईसीईटी) पर पहल की घोषणा की, इस समझौते का उद्देश्य द्विपक्षीय प्रौद्योगिकी और रक्षा सहयोग का विस्तार करना है.