Vande Mataram Rajya Sabha Debate Vande Mataram Rajya Sabha Debate Live Updates: संसद के शीतकालीन सत्र में तमाम मुद्दे उठ रहे हैं. दोनों ही सदनों में SIR, BLO की मौतों और इंडिगो संकट का मुद्दा उठ रहा है. कई बार बहसें हंगामों में भी तब्दील हो जा रही हैं. इसी बीच मंगलवार को राज्यसभा में भी बड़ी बहस होने जा रही है. सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम् पर जोरदार बहस हुई. आज इसी मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा हो रही है. अमित शाह इस मुद्दे पर चर्चा की शुरुआत की है. इस दौरान राधा मोहन दास अग्रवाल, के लक्ष्मन, घनश्याम तिवारी और सतपाल शर्मा भी अपना पक्ष रखने वाले हैं.
गृहमंत्री ने कहा, 'गुलामी के कालखंड में वंदे मातरम् गीत ने घनघोर अंधेरे के बीच लोगों के मन में आजादी के खिलाफ लड़ने का जोश जगाया. जब वंदे मातरम 100 साल का हुआ, पूरे देश को बंदी बना दिया गया. जब 150 साल पर कल सदन में चर्चा शुरू हुई, गांधी परिवार के सदस्य नदारद थे. वंदे मातरम का विरोध नेहरू से लेकर आज तक कांग्रेस नेतृत्व के खून में है. कांग्रेस पार्टी की एक नेत्री ने लोकसभा में कहा कि वंदे मातरम पर अभी चर्चा की कोई जरूरत नहीं है.
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- वंदे मातरम् में भारत माता को सरस्वती, लक्ष्मी और दुर्गा के स्वरूप बताया गया है. विद्या, संपन्नता और वीरता हमारी मिट्टी से ही मिलती है. उन्होंने रामायण का उदाहरण देते हुए कहा, 'प्रभु राम ने लंका में रहने का प्रस्ताव ठुकराते हुए कहा था कि माता और मातृभूमि ईश्वर से भी बड़ी होती है. यही भाव बंकिम बाबू ने वंदे मातरम के जरिए जीवित किया.'
अमित शाह ने कहा कि भारत की सीमाएं अधिनियम से नहीं, बल्कि संस्कृति से तय हुई हैं. 'सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को लेकर जागरूक करने का काम बंकिमचंद्र ने किया. जब अंग्रेजों ने प्रतिबंध लगाया, तब बंकिम बाबू ने लिखा कि मेरे सारे साहित्य को गंगा में बहा दो, लेकिन वंदे मातरम जन-जन का गान होगा.'
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वंदे मातरम ने देश को जागरूक किया और यह चर्चा हमेशा जरूरी रहेगी.' अमित शाह ने बताया कि अंग्रेजों के दौर में वंदे मातरम बोलने वालों पर कोड़े बरसाए जाते थे, फिर भी यह गीत कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैला. 'अंग्रेजों ने नई संस्कृति थोपने की कोशिश की थी, लेकिन वंदे मातरम् उस समय पुनर्जागरण का मंत्र था.'
अमित शाह ने कहा- वंदे मातरम् के टुकड़े हुए तो देश बंट गया. 50वें पड़ाव पर वंदे मातरम् के टुकड़े किए गए थे. तुष्टिकरण न होता तो देश का बंटवारा न होता.
अमित शाह ने कहा- '7 नवंबर, 1875 को बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय जी की वंदे मातरम् रचना पहली बार सार्वजनिक हुई थी. शुरुआत में इसे एक उत्कृष्ट साहित्यिक कृति माना गया, लेकिन जल्द ही यह गीत देशभक्ति, त्याग और राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक बन गया, जिसने आज़ादी के आंदोलन का मार्ग प्रशस्त किया. अमित शाह ने कहा कि वंदे मातरम सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा है, जिसने लाखों लोगों को प्रेरित किया.'
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय समर्पण का आह्वान हमेशा से जरूरी रहा है और 2047 में भी महत्वपूर्ण रहेगा. उन्होंने भारत की पहचान और लोकतांत्रिक भावना में इसके स्थायी स्थान पर जोर दिया.
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- 'वंदे मातरम सिर्फ बंगाल तक या देश तक सीमित नहीं रहा. दुनिया भर में जहां तक आजादी के दीवाने थे, उन्होंने इसका गुणगान किया. जब सरहद पर एक जवान अपने प्राण त्यागता है, तो उसकी जुबान पर वंदे मातरम् होता है.'
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, 'वंदे मातरम् के यशोगान के लिए चर्चा के लिए हम यहां आए है. चर्चा के जरिए हमारे देश के किशोर, युवा, आने वाली पीढ़ियों तक वंदे मातरम् का योगदान पता चले. हम सब सौभाग्यशाली है कि हमें एतिहासिक पल के साक्षी बन रहे हैं. इस महान सदन में वंदे मातरम् पर चर्चा हो रही है तब कल कुछ सदस्यों ने लोकसभा में सवाल किया था इस चर्चा की जरूरत क्या है. चर्चा की जरूरत वंदे मातरम् के प्रति समर्पण के प्रति जरूरत जब यह बना तब भी थी और अब भी है.'
अमित शाह ने कहा- 'जिनको आज वंदे मातरम् पर चर्चा क्यों हो रही है समझ नहीं रही है उनको अपने समझ पर विचार करने की जरूरत है
कुछ लोग इसको बंगाल चुनाव से जोड़ कर देख रहे हैं वो सही नहीं है
ये सही है कि बंकिम बाबू की पृष्टभूमि बंगाल थी लेकिन वंदे मातरम् बंगाल तक समिति नहीं था
आज भी सरहद पर जवान अपना सर्वोच्च बलिदान देता है उसके मुंह पर एक ही मंत्र होता है वो है वंदे मातरम्
वंदे मातरम् का नारा आजादी के उद्घोष का नारा बन गया था. वह आजादी का प्रेरणा स्रोत बना था.
वंदे मातरम् के दोनों सदनों में चर्चा से हमारे बच्चे, किशोर युवा और आने वाली कई पीढ़ियां वंदे मातरम् के महत्व को समझेगी.'
वंदे मातरम् की रचना में राष्ट्रभक्ति और राष्ट्र की संस्कृति का जो भाव है और संस्कृति के साथ जुड़ाव आने वाली पीढ़ियों का जुड़ाव हो
हम सब सौभाग्यशाली है कि इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बन रहे हैं और हिस्सा भी ले रहे हैं
कुछ सदस्यों ने लोक सभा में सवाल उठाया था आज वंदे मातरम् पर आज चर्चा की जरूरत क्या है
वंदे मातरम् पर चर्चा की जरूरत पहले भी थी और आगे भी रहेगी.
अमित शाह ने कहा- वंदे मातरम् आजादी का उद्घोष है. इसकी चर्चा से हमारी आने वाली पीढ़ियां इसकी महिमा समझेंगी
राज्य सभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वंदे मातरम् पर चर्चा शुरू की है.
संसद में वंदे मातरम् पर हो रही चर्चा के बीच कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने कहा, “कांग्रेस का रुख बिल्कुल स्पष्ट है. पार्टी की ओर से मनीष तिवारी बहस की शुरुआत करेंगे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी हस्तक्षेप करेंगे. कई अन्य वक्ता भी इस मुद्दे पर बोलेंगे. हमारा मुख्य फोकस चुनावी सुधारों पर होगा, खास तौर पर चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली, निर्वाचन सूची, डिजिटाइज्ड वोटर लिस्ट और ‘वोट चोरी’ पर. बिहार चुनाव के बाद SIR एक बेहद अहम मुद्दा बन गया है, लोकतंत्र बचाने की राहुल गांधी की लड़ाई के कारण अब चुनाव आयोग पर तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों का दबाव है. INDIA गठबंधन पूरी तरह एकजुट है और हम मताधिकार बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं.”
संसद में वंदे मातरम् पर हुई बहस को लेकर समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आज़मी ने कहा, “चर्चा तो विकास पर होनी चाहिए, देश को कर्ज से बाहर निकालने पर होनी चाहिए, समाज में फैल रही सांप्रदायिकता को खत्म करने पर होनी चाहिए, लेकिन यह सरकार सिर्फ हिंदू-मुस्लिम विभाजन पर ही ध्यान दे रही है. वंदे मातरम् का कोई विरोध नहीं करता. रोज़ बोलो, कौन मना करता है? लेकिन किसी की आस्था में दखल देना ठीक नहीं है.”
शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने संसद में ‘वंदे मातरम्’ पर हुई बहस को लेकर कहा, “उन्होंने एक ऐसे नारे को राजनीतिक एजेंडा बना दिया है, जो देश के गौरवशाली इतिहास से जुड़ा रहा है. यह नारा ब्रिटिश शासन के खिलाफ पूरे देश को एकजुट करने वाला रहा है. कल विपक्ष ने सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए मनगढ़ंत तथ्यों का पर्दाफाश किया. वंदे मातरम्’ आज भी देश के लोगों के मन में गूंजने वाला नारा है. उन्हें लगता है कि इससे पश्चिम बंगाल चुनाव में कोई लाभ मिलेगा, लेकिन कल की बहस के बाद देश के सामने इतिहास का सही रूप स्पष्ट हो गया है. मैं आज राज्यसभा में इस बहस का हिस्सा बनकर सरकार का जवाब देने की उम्मीद करती हूं.”
सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले संसदीय मंत्री किरण रिजिजू ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी जी को बिहार के नेताओं की ओर से बिहार जीत पर अभिनन्दन किया गया. राज्य और क्षेत्र के लिए किस तरह काम करना है. उसको लेकर मार्गदर्शन दिया.' उन्होंने कहा, ' पीएम मोदी ने देश के आम आदमी की जिदंगी आसान बनाने के लिए हर क्षेत्र में रिफॉर्म करने की बात कही. किसी नागरिक को कोई तकलीफ ना झेलना पड़े उसको लेकर निर्देश दिया. कोई ऐसा कानून या नियम ना हो जो बिना मतलब आम आदमी को परेशान करें. युवाओं को कनेक्ट करने के लिए खेल कूद जैसे आयोजनों पर जोर दिया.'
पार्लियामेंट्री पार्टी की मीटिंग पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, 'आज लोकसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा शुरू होगी. राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज वंदे मातरम् पर चर्चा का नेतृत्व करेंगे. कुछ विपक्षी सदस्यों ने कहा है कि वंदे मातरम् पर चर्चा चुनाव की वजह से हो रही है. ऐसा कहना गलत है.'
लोकसभा के बाद अब मंगलवार को राज्यसभा में भी ऐतिहासिक राष्ट्रीय गीत पर विशेष चर्चा होगी. इसको लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है. इसी क्रम में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा और पूर्णिया के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा. महुआ मोइत्रा ने कहा कि जरूरी मुद्दों को छोड़कर वंदे मातरम पर चर्चा हो रही है. वहीं, पप्पू यादव ने कहा कि भाजपा को इतिहास की जानकारी नहीं है.
संसद में आज SIR पर बड़ी चर्चा के आसार हैं. ऐसे में पीएम मोदी NDA संसदीय दल की बैठक के लिए पहुंच गए हैं. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, जेडीयू सांसद संजय झा, NCP सांसद प्रफुल्ल पटेल, केंद्रीय मंत्री एस जयशंकर सहित NDA के कई अन्य नेता संसदीय दल की इस बैठक में शामिल हो रहे हैं.
राज्यसभा की कार्यवाही मंगलवार सुबह 11 बजे शुरू हो गई है.
राज्यसभा में आज ‘वंदे मातरम्’ पर विशेष चर्चा होने वाली है. यह चर्चा दोपहर 1 बजे से शुरू होगी. गृह मंत्री अमित शाह बीजेपी की ओर से चर्चा की शुरुआत करेंगे, जबकि भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा इस चर्चा का समापन करेंगे.
अन्य वक्ताओं में राधा मोहन दास अग्रवाल, के. लक्ष्मण, घनश्याम तिवारी, सतपाल शर्मा शामिल हैं.