संसद के बजट सत्र के चौथे दिन 25 जुलाई को लोकसभा में कुछ ऐसा हुआ कि स्पीकर सहित सदन में बैठे सांसदों के चेहरे पर मुस्कान आ गई. दरअसल, लोकसभा में पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव बोलने के लिए उठे और उनकी बात पूरी होने के बाद स्पीकर ओम बिरला ने सियासी चुटकी ले ली. पप्पू यादव, पूर्णिया एयरपोर्ट के मुद्दे पर बोलने के लिए खड़े हुए थे. उन्होंने पूर्णिया एयरपोर्ट के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंंत्री अमित शाह के बयानों का भी जिक्र किया.
'क्या 2 साल में पूरा हो जाएगा काम?'
सांसद पप्पू यादव ने कहा, "गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री भी कई बार पूर्णिया एयरपोर्ट और भागलपुर एयरपोर्ट का जिक्र कर चुके हैं कि वो खुल गया. बिहार सरकार के द्वारा जो लैंड अधिग्रहण होना था, जिसमें 15 एकड़ लैंड अधिग्रहण नहीं हुआ है."
उन्होंने आगे कहा कि मैंने एयरपोर्ट के निर्माण कार्य की शुरुआत करने का आग्रह किया है. क्या इस साल पूर्णिया एयरपोर्ट का शिलान्यास हो जाएगा. क्या दो साल अंदर वहां पर विमान पहुंच जाएगा.
सदन तब ठहाकों से गूंज गया, जब पप्पू के बोलने के बाद ओम बिरला ने चुटकी लेते हुए कहा, "पप्पू यादव जी आप बैठ जाइए, नहीं लोग कहेंगे कि बिहार को बहुत ज्यादा दे रहे हैं."
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निर्दलीय सांसद हैं पप्पू यादव
लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्णिया लोकसभा सीट की खूब चर्चा हुई. इस सीट से पप्पू यादव निर्दलीय उम्मीदवार थे. लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) की विधायक बीमा भारती को उम्मीदवार बना दिया तो पप्पू निर्दलीय ही मैदान में कूद पड़े.
पप्पू यादव ने कांटे के मुकाबले में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी जेडीयू के संतोष कुमार 16 हजार वोट से अधिक के अंतर से हरा दिया है. आरजेडी उम्मीदवार बीमा भारती तीसरे स्थान पर रहीं. 2010 में सूबे की बांका लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव के बाद यह पहला मौका है जब बिहार की किसी सीट से कोई निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीतकर संसद पहुंचेगा.
2009 में आखिरी बार जीते थे निर्दलीय
बिहार में साल 2009 के आम चुनाव में सूबे की दो सीटों से निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे. तब बिहार की बांका सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह संसद पहुंचे थे तो वहीं सिवान सीट से ओमप्रकाश यादव को बतौर निर्दलीय उम्मीदवार जीत मिली थी. दिग्विजय के निधन से रिक्त हुई बांका सीट पर 2010 में उपचुनाव हुए. उपचुनाव में दिग्विजय की पत्नी पुतुल कुमारी को जीत मिली और तब से अब तक किसी चुनाव में किसी सीट से कोई निर्दलीय नहीं जीत सका है. 2014 और 2019 के आम चुनाव में भी बिहार से निर्दलीयों की झोली खाली ही रही.
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