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ओडिशाः लॉकडाउन में गई पिता की नौकरी, बाइक चलाना सीख फूड डिलिवर कर रही बेटी

विष्णुप्रिया के पिता ड्राइवर का जॉब करते थे. लेकिन लॉकडाउन में उनकी नौकरी चली गई. विष्णुप्रिया ने पहले पिता की मोटरसाइकिल चलानी सीखी. इसके बाद उसने जोमैटो के स्थानीय ऑफिस में डिलिवरी एजेंट के जॉब के लिए एप्लाई किया. विष्णुप्रिया कटक जिले की पहली जोमैटो डिलीवरी एजेंट हैं.

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विष्णुप्रिया सुबह ट्यूशन पढ़ाती हैं और फिर फूड डिलीवरी का काम करती हैं.
विष्णुप्रिया सुबह ट्यूशन पढ़ाती हैं और फिर फूड डिलीवरी का काम करती हैं.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 18 साल की विष्णुप्रिया ने परिवार संभाला
  • विष्णुप्रिया का डॉक्टर बनने का सपना था
  • अब वो दो छोटी बहनों को पढ़ा रही हैं

कोरोना महामारी और लॉकडाउन ने किस तरह लोगों की जिंदगी बदल दी है, ये कटक की 18 साल की लड़की विष्णुप्रिया से पूछिए. कोरोना की दस्तक से पहले विष्णुप्रिया भी आम स्टूडेंट्स की तरह स्कूल जाकर पढ़ाई करती थी और आंखों में डॉक्टर बनने का सपना पाले हुए थी. लेकिन पिछले साल से सब बदल गया.  

विष्णुप्रिया के पिता ड्राइवर का जॉब करते थे. लेकिन लॉकडाउन में उनकी नौकरी चली गई. परिवार पर मुश्किलों का पहाड़ आ गया. विष्णुप्रिया के अलावा परिवार में दो छोटी बेटियां और भी हैं. वो भी पढ़ाई कर रही हैं. ऐसे में पिता की जॉब चले जाने की वजह से तीन वक्त के खाने के इंतजाम में भी दिक्कत आने लगी. जो बचत का पैसा जोड़ रखा था वो भी खत्म होने लगा. 

ऐसे में विष्णुप्रिया ने बड़ा फैसला किया और परिवार का खुद सहारा बनने का फैसला किया. विष्णुप्रिया ने अपनी संस्थागत पढ़ाई को निलंबित कर जॉब ढूंढना शुरू किया. विष्णुप्रिया को लगा कि वो फूड डिलिवरी ऐप जोमैटो में लोगों के घरों तक खाना पहुंचाने का काम कर सकती है. इसके लिए विष्णुप्रिया ने पहले पिता की मोटरसाइकिल चलानी सीखी. इसके बाद उसने जोमैटो के स्थानीय ऑफिस में डिलिवरी एजेंट के जॉब के लिए एप्लाई किया. 

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इंटरव्यू के बाद विष्णुप्रिया का सेलेक्शन हो गया. पिछले 18 दिन से वे फूड डिलिवरी के काम को बखूबी अंजाम दे रही हैं. ये जॉब करने वाली वो कटक की पहली लड़की हैं. पूरे ओडिशा में भी ऐसी चंद ही लड़कियां होंगी. लॉकडाउन के दौरान निर्जन सड़कें और शाम के वक्त डिलिवरी में जोखिम के बावजूद विष्णुप्रिया ने यह जॉब करने का फैसला किया. 

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विष्णुप्रिया सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक जोमैटो के लिए फूड सप्लाई करती हैं. इसके अलावा सुबह 6 से 10 बजे तक वो पड़ोस के बच्चों को ट्यूशन भी देती हैं.  

विष्णुप्रिया ने आजतक को बताया, “मैं 12वीं में पढ़ रही थी. मैंने साइंस विषय लिया क्योंकि मेरा सपना डॉक्टर बनने का था. मेरे पिता की जॉब चली गई तो सब बदल गया. हम तीन बहनें हैं. मेरा मानना है कि कोई काम छोटा नहीं होता. मेरी कोशिश है कि परिवार की जरूरतें पूरी होने के साथ मेरी दोनों बहनों की पढ़ाई चलती रहे.”  

विष्णुप्रिया के माता-पिता अपनी बेटी पर गर्व महसूस करते हैं. विष्णुप्रिया की मां ने कहा, क्योंकि हमारे कोई बेटा नहीं था, वो हमारे बेटे की तरह है. लॉकडाउन में पति का जॉब जाने के बाद हमारा परिवार वजूद बचाए रखने के लिए मशक्कत कर रहा था. ऐसे में विष्णुप्रिया ने घर की कमान अपने हाथ में संभाल ली. वो इतना काम करने के बावजूद जब भी फुर्सत मिलती है तो अपनी पढ़ाई की किताबें लेकर बैठ जाती है.” 

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