नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स यानी NRC को लागू करने के लिए सरकार की क्या तैयारी है? इसे लेकर चल रहे संसद के शीतकालीन सत्र में सवाल पूछा गया था. इसका जवाब देते हुए गृह मंत्रालय ने एक बार फिर कहा है कि NRC को देशभर में लागू करने कोई फैसला नहीं लिया गया है. इससे पहले भी कई बार NRC को लागू करने के सवाल पर सरकार ने संसद में यही जवाब दिया है.
देश में NRC की स्थिति को लेकर टीएमसी सांसद माला रॉय ने सवाल पूछा था. इसका जवाब केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने दिया. उन्होंने बताया कि अभी तक सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) तैयार करने का फैसला नहीं लिया है.
उन्होंने ये भी बताया कि जहां तक असम का सवाल है तो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर NRC में शामिल और शामिल नहीं किए गए लोगों की लिस्ट 31 अगस्त 2019 को जारी कर दी गई है.
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क्या है NRC?
नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (NRC) असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों की पहचान के लिए बनाई गई एक लिस्ट है. इसका मकसद राज्य में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों खासतौर पर बांग्लादेशियों की पहचान करना है. इस प्रक्रिया के लिए 1986 में सिटीजनशिप एक्ट में संशोधन कर असम के लिए खास प्रावधान किया गया था. इस लिस्ट में उन लोगों को शामिल किया गया है जो 25 मार्च 1971 से पहले से राज्य के नागरिक हैं या जिनके पूर्वज यहां रहते थे.
असम इकलौता राज्य जहां NRC लागू
असम में पहली बार 1951 में NRC तैयार हुई थी. तब राज्य में रह सभी लोगों को असम का नागरिक माना गया था. लेकिन बाद में लगातार हो रही घुसपैठ के चलते इस लिस्ट को अपडेट करने की मांग उठ रही थी. मई 2005 में मनमोहन सरकार में NRC लिस्ट अपडेट करने पर सहमति बनी, लेकिन काम शुरू नहीं हो सका. दिसंबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने NRC अपडेट करने का आदेश दिया. इसके बाद अगस्त 2019 में सरकार ने NRC की आखिरी लिस्ट जारी की. हालांकि, लिस्ट आने के बाद विवाद भी खड़े हुए. ऐसा भी दावा किया गया कि बहुत से लोग जो भारतीय नागरिक थे, वो भी इस लिस्ट में बाहर हो गए.