गुजरात विधानसभा चुनाव में 'पुरानी पेंशन स्कीम' को लेकर सियासत तेज हो गई है. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने का वादा किया है. इन सबके बीच कुछ राज्यों ने भी पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को दोबारा बहाल करने की मांग की. हालांकि, नीति आयोग ने इस पर चिंता जताई है. नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कहा है कि इसके ऐसे समय में भविष्य के टैक्सपेयर्स पर बोझ पड़ेगा, जब भारत को राजकोषीय स्थिति को बेहतर करने और सतत विकास को बढ़ावा देने की जरूरत है.
समाचार एजेंसी के मुताबिक, सुमन बेरी ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना के फिर से शुरू होने पर मुझे थोड़ी चिंता है. मेरे ख्याल से यह चिंता का विषय है, क्योंकि इसका भार मौजूदा टैक्सपेयर्स पर नहीं, बल्कि भविष्य के करदाताओं पर पड़ेगा.
2004 में हुई बंद
एनडीए सरकार ने 2004 में पुरानी पेंशन स्कीम को खत्म कर दिया था. पुरानी ओपीएस के तहत पेंशन की पूरी राशि सरकार सरकार देती थी. नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारी अपने मूल वेतन का दस प्रतिशत हिस्सा पेंशन के लिए देते हैं जबकि राज्य सरकार इसमें 14 प्रतिशत का योगदान देती है.
कांग्रेस शासित राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने का पहले ही फैसला हो चुका है. जबकि कांग्रेस ने हिमाचल में भी वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह योजना बहाल करेगी. कांग्रेस और आप ने गुजरात में भी ओपीएस बहाल करने का वादा किया है. इससे पहले झारखंड में भी ओपीएस शुरू करने का फैसला किया गया है. वहीं, आप ने पंजाब में पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने को मंजूरी दी है.
क्या कहा नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने?
नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कहा कि हम सभी भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लक्ष्य की ओर काम कर रहे हैं. ऐसे में राजनीतिक पार्टियों को भी अनुशासन का पालन करना चाहिए. ताकि भारत एक विकसित अर्थव्यवस्था बन सके. उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक लक्ष्यों के लिए अल्पकालिक लक्ष्यों को संतुलित करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि राज्यों के कर्ज को रिजर्व बैंक ने प्रभावी तरीके से सीमित कर दिया है, इसलिए राज्यों की वजह से आर्थिक स्थिरता को कोई खतरा नहीं है. बेरी ने कहा कि अगले दो वर्ष में वित्तीय मजबूती के जरिए, हमें निजी क्षेत्र के लिए जगह बनाना शुरू करना होगा.