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पड़ोसियों से अच्छे संबंधों के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का अहम बयान

केरल में शिवगिरि मठ की 90वीं वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान राजनाथ सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की उस टिप्पणी को याद किया जिसमें उन्होंने कहा था कि हम दोस्त बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं. उन्होंने कहा कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखना चाहता है, लेकिन यह राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर नहीं किया जाएगा.

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राजनाथ सिंह (फाइल फोटो)
राजनाथ सिंह (फाइल फोटो)

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखना चाहता है, लेकिन यह राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर नहीं किया जाएगा. केरल में शिवगिरि मठ की 90वीं वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान राजनाथ सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की उस टिप्पणी को याद किया जिसमें उन्होंने कहा था कि हम दोस्त बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं.

रक्षा मंत्री ने कहा, 'इसलिए, हमें अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे और मैत्रीपूर्ण संबंधों की आवश्यकता है. हालांकि, हम अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं करेंगे. हम अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर किसी के साथ अच्छे संबंध नहीं चाहते हैं.' राजनाथ सिंह ने केरल के समाज सुधारक श्री नारायण गुरु की शिक्षाओं के बारे में भी बात की, जैसे 'उद्योग के माध्यम से समृद्धि' जो भारत सरकार की 'आत्म निर्भर भारत' नीति का आधार है.

उन्होंने कहा, उसी के परिणामस्वरूप, देश को दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में से एक माना जाता है और हमारी सेना को एक ताकत के रूप में देखा जाता है. उद्योग के माध्यम से समृद्धि का उनका उपदेश भारत सरकार के 'आत्मनिर्भर भारत' के संकल्प का आधार है. आज भारत अपनी मेहनत और उद्यम के कारण दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. आज भारत एक हो गया है. राजनाथ सिंह ने कहा कि आज भारत दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता है. 

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इस पर आधारित है आत्मनिर्भर भारत

रक्षा मंत्री ने कहा, 'दुनिया आज भारत को सैन्य शक्ति के रूप में पहचानती है, जिसका श्रेय 'आत्मनिर्भर भारत' के लिए सरकार को दिया जाता है, जो श्री नारायण गुरु के उपदेश 'उद्योग के माध्यम से समृद्धि' पर आधारित है.' राजनाथ सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भरता भारत की संस्कृति का अभिन्न अंग रही है और श्री नारायण गुरु ने अपने उपदेशों से इस संदेश को जन-जन तक पहुंचाया और शिवगिरी मठ भी इसे लगातार आगे बढ़ाने का काम कर रहा है.

उन्होंने आगे कहा कि जब वह सशस्त्र बलों की मदद से और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में भारत के 'शरीर' - सीमाओं - की रक्षा के लिए काम कर रहे थे, तब मठ के संत आत्मा की रक्षा के लिए काम कर रहे थे.

राजनाथ सिंह ने यह भी कहा, 'मैं आपके द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना करता हूं. हम एक राष्ट्र के रूप में तभी जीवित रह सकते हैं जब शरीर और आत्मा दोनों सुरक्षित हों.' उन्होंने विश्वास जताया कि इस वर्ष की वार्षिक तीर्थयात्रा भी सफल होगी. बता दें कि जनवरी 1928 में, वल्लभसेरी गोविंदन वैद्यार और टी के किटन ने संयुक्त रूप से गुरु से शिवगिरि तीर्थ यात्रा करने का अनुरोध किया था क्योंकि सभी उच्च वर्गों और अन्य लोगों के अपने तीर्थस्थल थे, लेकिन 'अवर्ण' के पास जाने के लिए कहीं नहीं था.

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तब गुरु ने प्रस्ताव पर अपनी सहमति दी और तीर्थ यात्रा के लिए हर साल की पहली जनवरी की तारीख तय की, जिसके पहले तीर्थयात्रियों को 10 दिन तक तपस्या करनी पड़ती है और केवल पीले कपड़े पहनने होते हैं. कार्यक्रम में रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन के निधन पर भी शोक व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि जब उन्हें इस दुखद समाचार के बारे में पता चला तो वह दिल्ली लौटने पर विचार कर रहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री ने सभी से कहा कि सभी को वापस आने से पहले अपनी आधिकारिक प्रतिबद्धताओं को पूरा करना चाहिए.

उन्होंने कहा, 'इसलिए यहां सभी शिवगिरी मठ और मेरी ओर से मैं मां हीराबेन को श्रद्धांजलि देना चाहता हूं.' इसके बाद वहां मौजूद सभी लोगों ने एक मिनट का मौन रखा.

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