जून का महीना चल रहा है और देश के कई राज्यों में भीषण गर्मी और हीटवेव परेशान कर रही है. लोगों को अब मॉनसून की एंट्री के साथ राहत की उम्मीद है लेकिन मॉनसून लेट हो चुका है. मौसम विभाग का कहना है कि मॉनसून के आने में देरी होगी. सामान्य स्थिति में मॉनसून 1 जून को केरल के तट से टकरा जाता है लेकिन आईएमडी ने पहले ही मामूली देरी के साथ इसके 4 जून तक पहुंचने की संभावना जताई थी, लेकिन अब इसमें और देरी होती नजर आ रही है. आइये जानते हैं इसकी वजह.
मॉनसून में क्यों हो रही देरी?
मौसम विभाग का कहना कि मॉनसून के केरल पहुंचने की स्थितियों में बदलाव आया है. IMD ने इसके केरल पहुंचने की नई तारीख तो नहीं बताई लेकिन माना जा रहा है कि अभी तीन-चार दिन लग सकते हैं. IMD ने कहा कि दक्षिण पूर्व अरब सागर के ऊपर एक कम दबाव का क्षेत्र बनने की उम्मीद है. इससे अगले दो दिनों में इसकी तीव्रता केरल तट की ओर मॉनसून की प्रगति को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है. आईएमडी ने कहा कि कम दबाव का क्षेत्र बनने के कारण दक्षिण पूर्व अरब सागर पर बादल का द्रव्यमान अधिक संगठित और केंद्रित है. वहीं, केरल तट के पास बादलों में कुछ कमी आई है. इसके चलते मॉनसून में देरी हो रही है.
कब आएगा मॉनसून?
आईएमडी ने मॉनसून के आने की कोई तारीख नहीं दी है लेकिन निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट ने कहा कि केरल में मॉनसून की शुरुआत 8 जून या 9 जून को हो सकती है, लेकिन इसके "कमजोर और हल्के प्रवेश" की उम्मीद है. स्काईमेट वेदर ने कहा कि कम दबाव का क्षेत्र दक्षिण-पूर्व अरब सागर में तेज होने की उम्मीद है और मध्य सप्ताह के आस-पास और मजबूत हो सकता है. अरब सागर में ये शक्तिशाली मौसम प्रणालियां मॉनसून की प्रगति को खराब करती हैं. इनके प्रभाव में, मॉनसून की धारा तटीय भागों तक तो पहुंच सकती है, लेकिन पश्चिमी घाटों से आगे बढ़ने के लिए इन्हें संघर्ष करना पड़ेगा. स्काईमेट ने पहले 7 जून को केरल में मॉनसून की शुरुआत की भविष्यवाणी की थी, जिसके तीन दिन के आगे या पीछे होने की संभावना जताई गई थी.
कैसे तय होता है कि मॉनसून आ गया?
भारतीय मौसम विभाग द्वारा देश में मॉनसून आने की घोषणा तब की जाती है जब केरल, लक्षद्वीप और कर्नाटक में मॉनूसन की शुरुआत की घोषणा करने वाले 8 स्टेशनों में लगातार दो दिनों तक कम से कम 2.5 मिमी बारिश हो. इस स्थिति में आईएमडी मॉनसून आने की जानकारी देता है. 8 जून या 9 जून को ये निर्धारित वर्षा हो सकती है. हालांकि, शुरुआत में ये नरम और हल्का प्रवेश कर सकता है.
मौसम पर क्या होगा असर?
वैज्ञानिकों ने कहा कि केरल में मॉनसून के देरी से पहुंचने का मतलब यह नहीं है कि मॉनसून देश के अन्य हिस्सों में भी देरी से पहुंचेगा. इसके अलावा, यह मौसम के दौरान देश में कुल वर्षा को प्रभावित नहीं करता है. आईएमडी ने पहले कहा था कि एल नीनो की स्थिति विकसित होने के बावजूद दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मौसम में भारत में सामान्य बारिश होने की उम्मीद है.
कहां कितनी बारिश की उम्मीद?
उत्तर पश्चिम भारत में सामान्य से सामान्य से कम बारिश होने की उम्मीद है. पूर्व और उत्तर पूर्व, मध्य और दक्षिण प्रायद्वीप में 94-106 प्रतिशत के साथ सामान्य वर्षा होने की उम्मीद है. लंबी अवधि में ये 87 सेंटीमीटर हो सकती है.
कितनी होती है सामान्य बारिश?
आईएमडी के मुताबिक, 50 साल के 87 सेमी के औसत के साथ 96 से 104 फीसदी के बीच बारिश को 'सामान्य' माना जाता है. दीर्घावधि में औसत 90 प्रतिशत से कम वर्षा को 'कम' माना जाता है. 90 प्रतिशत और 95 प्रतिशत के बीच 'सामान्य से नीचे', 105 प्रतिशत और 110 प्रतिशत के बीच 'सामान्य से ऊपर' और 100 प्रतिशत से अधिक बारिश को'अधिक' माना जाता है.