मीराबाई चनू ने महिलाओं के 49 किलोग्राम वर्ग में कुल 202 किलोग्राम भार उठाकर पूरे देश को अविश्वसनीय रूप से गौरवान्वित किया और टोक्यो ओलंपिक में पहला सिल्वर मेडल जीता. जब टोक्यो से लौटीं तो मणिपुर की 26 वर्षीय वेटलिफ्टर उन ट्रक ड्राइवरों की तलाश में थी, जिन्होंने उनकी ट्रेनिंग के दौरान उनकी मदद की थी.
आखिरकार मीराबाई उन ट्रक ड्राइवरों का पता लगाने में सफल हो गईं, जिन्होंने ट्रेनिंग के दौरान उन्हें इम्फाल पहुंचाने में मदद की थी. इसके बाद, गुरुवार को उन्होंने और उनके परिवार ने अपने गांव के घर पर कुछ ट्रक ड्राइवरों का स्वागत किया. उन्होंने और उनके परिवार के सदस्यों ने ट्रक ड्राइवरों को गिफ्ट्स भी दिए.
टोक्यो से जीतकर वापस देश लौटने के बाद मीराबाई चनू ने खुलासा किया था कि उनकी ट्रेनिंग के दौरान ट्रक ड्राइवरों ने नोंगपोक काकचिंग गांव में उनके घर से इम्फाल के खुमान लम्पक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में ट्रेनिंग कैंप तक मुफ्त की यात्रा करवाई थी. इससे मीराबाई के घरवालों का काफी पैसा बचा था.
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ओलंपिक में सिल्वर मेडल विनर मीराबाई का घर इम्फाल में खुमान लम्पक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स से 25 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर है और उन दिनों ट्रक नदी की बालू को मणिपुर की राजधानी तक ले जाते थे. उस समय ट्रक ड्राइवरों ने मीराबाई को ट्रेनिंग के दौरान स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स तक मुफ्त में पहुंचाया था.
गांव में चाय की दुकान चलाने वालीं मीराबाई चनू की मां सैखोम ओंगबी टोम्बी देवी ने कहा कि एथम मोइरंगपुरेल इलाके से आने वाले ट्रक उनके गांव से गुजरते थे और उनकी चाय की दुकान पर रुकते थे. इस बीच, उन ट्रक ड्राइवरों ने मीराबाई को कई बार फ्री में यात्रा करवाई थी.
बता दें कि मीराबाई चनू ने ओलंपिक के भारोत्तोलन में 21 साल के बाद भारत को पदक दिलवाया है. उनसे पहले कर्णम मल्लेश्वरी ने सिडनी ओलंपिक 2000 में देश को भारोत्तोलन में कांस्य पदक जीता था. मीराबाई का पिछले महीने देश लौटने के बाद जोरदार स्वागत किया गया था. इसके साथ ही सरकार ने इनामों की झड़ी भी लगा दी है.