महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव में बीजेपी बनाम शिवसेना देखने को मिल रहा है, जिसको लेकर राजनीतिक गलियारों में महायुति को लेकर चर्चा हो रही हैं. इसी बीच महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने साफ कर दिया है कि स्थानीय निकाय चुनाव कार्यकर्ताओं का चुनाव है. कार्यकर्ताओं की इच्छा अनुसार प्रचार के लिए हम लोग जाते हैं. उन्होंने कहा कि कई जगहों पर अलग चुनाव लड़ रहे हैं, इसका मतलब नहीं है कि महायुति में संघर्ष है.
स्थानीय चुनाव में बीजेपी के साथ बढ़ते गतिरोध को लेकर एकनाथ शिंदे ने आजतक को दिए इंटरव्यू में खुलकर बात की है. उन्होंने गठबंधन धर्म, प्रचार शैली और महायुति के भविष्य पर एक साथ कई महत्वपूर्ण बातें कही हैं.
'ये कार्यकर्ताओं का चुनाव है'
जब एकनाथ शिंदे से पूछा गया कि क्या ये महाराष्ट्र की राजनीति में नई जोर आजमाइश हो तो उन्होंने कहा, 'देखिए ये स्थानीय निकाय चुनाव है और ये चुनाव कार्यकर्ताओं का चुनाव है. लोकसभा विधानसभा चुनाव हो गया और ये कार्यकर्ता हमारे विधायक-सांसद इनको चुन कर देते हैं. अभी ये कार्यकर्ताओं का चुनाव है तो उनकी भी अपेक्षा होती है कि हमारे चुनाव में भी हमारे नेता आए प्रचार करें. इसलिए हम हर जगह जहां-जहां जाना संभव है, वहां जाते हैं.'
'हम गठबंधन मित्र के खिलाफ नहीं करते प्रचार'
उन्होंने साफ करते हुए कहा कि ये कोई स्पर्धा नहीं है. कहीं पर हम साथ में, कहीं पर जो लोकल लेवल का समीकरण है, वहां की जो रणनीति और कार्यकर्ताओं की कुछ भावना होती है, उस जगह पर हम भले अलग लड़ते हैं. लेकिन हमारा एजेंडा विकास का है. हम कोई भी प्रचार अपने मित्र (गठबंधन) के खिलाफ नहीं करते, क्योंकि हमने ये सब तय कर रखा है.
ये विचारधारा का गठबंधन
क्या महाराष्ट्र में बिहार की तर्ज पर पोर्टफोलिया बंटवारा होना चाहिए. इस सवाल पर बोलते हुए उन्होंने कहा, 'देखिए पहली बात मैं बताऊंगा की हमारी जो युती है, शिवसेना-भाजपा की वो बहुत पुरानी है. ये गठबंधन बाला साहेब, अटल जी और आडवाणी के जमाने का है. ये कोई सत्ता कुर्सी के लालच में ये गठबंधन नहीं हुआ है, ये विचारधारा का गठबंधन है. हमारी विचारधारा डेवलपमेंट की विचारधारा है.