केरल के एक प्राइवेट स्कूल में हिजाब पहनने की मांग को लेकर स्कूल प्रबंधन और एक मुस्लिम छात्रा के माता-पिता के बीच विवाद हुआ. स्कूल ने छात्रा की एंट्री रोक दी और उसे छुट्टी पर भेज दिया. ये मामला इतना गंभीर हो गया है कि केरल हाई कोर्ट ने इस स्कूल की मांग पर उसे पुलिस प्रोटेक्शन देने का फैसला किया है. हालांकि अब विवाद का समाधान हो गया है. लेकिन इस पूरे मामले में अब PFI के तार जुड़ते नजर आ रहे हैं.
कांग्रेस सांसद हिबी ईडन (Hibi Eden) की अगुवाई में हुई बैठक में छात्रा के परिवार ने स्पष्ट किया कि वे स्कूल के नियमों का पालन करेंगे और उनकी बेटी बिना हिजाब के स्कूल जाएगी.
बैठक के बाद सांसद हिबी ईडन ने कहा, “छात्रा के पिता अनस ने खुद आगे आकर कहा कि वे चाहते हैं कि उनकी बेटी उसी स्कूल में पढ़ाई जारी रखे और स्कूल के नियमों का पालन करे. यह समाज के लिए धर्मनिरपेक्षता का एक बड़ा संदेश है. जैसा कि मैंने पहले कहा था, कुछ लोग सोशल मीडिया के जरिए साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे थे. मेरे खिलाफ कुछ भी कहा जा रहा है, उससे मुझे फर्क नहीं पड़ता, लेकिन समाज को किसी भी कीमत पर बांटने नहीं देंगे.”
कैसे शुरू हुआ पूरा विवाद
विवाद पर स्कूल का कहना है कि पिछले 30 सालों से सभी बच्चे इस स्कूल में एक समान ड्रेस कोड का पालन कर रहे हैं और इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ, जब इस ड्रेस कोड के खिलाफ किसी छात्रा ने हिजाब पहनकर स्कूल में आने की मांग की हो.
लेकिन पहली बार एक आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा ने इसकी मांग की. स्कूल का ये भी आरोप है कि पहले ये छात्रा चार महीने तक समान ड्रेस कोड का पालन करती रही लेकिन बाद में इसने अचानक से हिजाब पहनकर स्कूल में आना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से इसे रोका गया और ये पूरा विवाद हुआ. हालांकि इस छात्रा का कहना है कि स्कूल प्रबंधन हिजाब पहनने के लिए उसके साथ भेदभाव करता था और उसे परेशान किया जाता था.
स्कूल ने इस संगठन पर लगाए गंभीर आरोप
इस स्कूल का ये भी कहना है कि उसके यहां मुस्लिम समुदाय के कुल 117 बच्चे पढ़ते हैं लेकिन इनमें से सिर्फ एक मुस्लिम छात्रा को इस स्कूल के समान ड्रोस कोड से आपत्ति है. ये भी दावा है कि इसके पीछे Social Democratic Party of India हो सकती है. असल में ये प्राइवेट स्कूल जिस प्रबंधन द्वारा संचालित होता है, वो ईसाई धर्म को मानता है और ऐसे में ये मामला साम्प्रदायिक भी बन गया है. सबसे बड़ी बात ये है कि इसमें Social Democratic Party of India का नाम आ रहा है, जिस पर पहले कर्नाटक के स्कूलों में भी हिजाब आंदोलन को समर्थन देने के आरोप लग चुके हैं.
आरोप ये भी है कि इस मामले में भी इसी संगठन के कुछ कार्यकर्ताओं ने इस मुस्लिम छात्रा और उसके माता-पिता को हिजाब पहनकर स्कूल जाने के लिए उकसाया और जब स्कूल प्रबंधन ने इस पर आपत्ति जताई तो SDPI के ही 6 कार्यकर्ताओं ने स्कूल के अन्दर हंगामा किया, जिसके बाद केरल हाईकोर्ट ने इस स्कूल को सुरक्षा देने का फैसला किया है.
मामले के पीएफआई से जुड़ रहे तार
गौरतलब है कि साल 2001 में भारत सरकार ने आतंकवादी गतिविधियों के लिए SIMI नाम के संगठन पर प्रतिबंध लगाया, जिसे Students Islamic Movement of India कहा जाता था. SIMI पर कड़े प्रतिबंध लगने के बाद हर किसी को यही लगा कि अब ये संगठन वैचारिक रूप से भी खत्म हो जाएगा लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ.
बाद में SIMI की विचारधारा से निकले कुछ कट्टरपंथियों ने साल 2007 में PFI यानी Popular Front Of India नाम का संगठन बनाया और ऐसे आरोप लगने लगे कि जो काम पहले SIMI करता था, वही नाम अब PFI के नाम से हो रहा है. इन्हीं आरोपों की वजह से PFI पर भी सितम्बर 2022 में भारत सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया और PFI के साथ उसके आठ और संगठनों को बंद कर दिया गया. सबने यही सोचा कि यहां से PFI की गतिविधियों पर अंकुश लगेगा. लेकिन उस वक्त भारत सरकार ने PFI से जुड़े SDPI पर रोक नहीं लगाई थी, जिसकी वजह से कई बार ये आरोप लगे कि PFI के कार्यकर्ताओं ने SDPI के लिए काम करना शुरू कर दिया है. पहले कर्नाटक के हिजाब मामले में इस संगठन की भूमिका पर सवाल उठे और अब केरल के इस मामले में भी ये SDPI पार्टी सवालों के घेरे में है.