कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने राज्य विधानमंडल की ओर से पारित सात महत्वपूर्ण विधेयकों को मंजूरी देने का अनुरोध किया.
किन विधेयकों को मिलनी है मंजूरी?
राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजे गए इन विधेयकों में एजुकेशन, माइनिंग टैक्सेशन, सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता और प्रशासनिक सुधार से जुड़े अहम प्रावधान शामिल हैं. इनमें सबसे प्रमुख विधेयक 'बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (कर्नाटक संशोधन) विधेयक 2025' है, जिसका उद्देश्य राज्य में मौजूदा आरटीई (RTE) ढांचे में संशोधन करना है.
इसके अलावा 'कर्नाटक (खनिज अधिकार और खनिज संपन्न भूमि) कर विधेयक 2024' भी शामिल है, जिसका मकसद राज्य को खनिज संसाधनों से अधिक राजस्व दिलाना है. वहीं, 'कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता (संशोधन) अधिनियम 2025' का उद्देश्य सरकारी खरीद प्रक्रिया में अधिक जवाबदेही लाना है.
इन विषयों के लिए केंद्र की मंजूरी जरूरी
इस पैकेज में 'पंजीकरण (कर्नाटक संशोधन) विधेयक 2024 और 2025', तथा 'नोटरी (कर्नाटक संशोधन) विधेयक 2025' भी शामिल हैं, जिनका उद्देश्य प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाना है. इसके अलावा 'कर्नाटक हिंदी धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ न्यास (संशोधन) विधेयक 2024' भी राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया है.
इन विधेयकों के लागू होने से पहले राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी है क्योंकि ये ऐसे विषयों से संबंधित हैं जिनके लिए केंद्रीय सरकार की स्वीकृति अनिवार्य होती है.