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जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़े 'कैश कांड' की जांच पूरी, समिति ने CJI को सौंपी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को विशेष समिति द्वारा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास के अग्निकांड में भारी नकदी मिलने की जांच रिपोर्ट सौंपी गई. इस समिति का नेतृत्व पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू ने किया, और अन्य सदस्यों में हिमाचल और कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायाधीश शामिल थे.

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जस्टिस यशवंत वर्मा केस में SC को जांच कमेटी की रिपोर्ट सौंपी गई
जस्टिस यशवंत वर्मा केस में SC को जांच कमेटी की रिपोर्ट सौंपी गई

Justice Yashwant Varma Cash Row: जस्टिस यशवंत वर्मा के यहां अग्निकांड में अकूत नकदी मिलने के मामले की जांच करने वाली तीन जजों की इन-हाउस रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को सौंप दी है. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी. एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति सुश्री अनु शिवरामन की तीन सदस्यीय समिति ने जांच रिपोर्ट सौंपी है.  

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज पर थे आरोप

यह समिति इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के विरुद्ध लगे आरोपों की जांच के लिए गठित की गई थी. 

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने किया था समिति का गठन

इस समिति का गठन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने घटना के सात दिन बाद, 22 मार्च को किया था.  

SC Press Release
सुप्रमी कोर्ट प्रेस रिलीज

43 दिनों बाद रिपोर्ट सौंपने की प्रक्रिया हुई पूरी

समिति ने 43 दिनों बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की. तीन मई को रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया गया और चार मई को यह रिपोर्ट मुख्य न्यायाधीश को सौंप दी गई.  

यह भी पढ़ें: फिर से होगी उन 52 मुकदमों की सुनवाई, जिनकी हियरिंग से जुड़े थे कैशकांड में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा

क्या है पूरा मामला?

14-15 मार्च की रात को जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली वाले सरकारी बंगले में आग लग गई. जिसे बुझाने दमकल कर्मी पहुंचे. आग बुझाने के बाद जांच के दौरान मौके से भारी मात्रा में जले हुए नोट बरामद किए गए. कथित तौर पर इसकी वीडियो और तस्वीरें भी सामने आईं थी. जिसके बाद पूरा विवाद खड़ा हो गया.  हालांकि, जस्टिस यशवंत ने आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया.

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yashwant varma cash at home
जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले में जले हुए नोट

जस्टिस यशवंत पर आरोप लगने के बाद 22 मार्च को सीजेआई ने आरोपों की आंतरिक जांच करने के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया था. 

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