झारखंड में बेरमो अनुमंडल के ढोरी कोल एरिया में सीसीएल क्वार्टर को लेकर भारी विवाद छिड़ गया है. इस विवाद के केंद्र में हैं नवनिर्वाचित विधायक और झारखंड लोकमुक्ति क्रांति मंच (जेएलकेएम) के चीफ जयराम महतो. यह विवाद तब शुरू हुआ जब जेएलकेएम के कुछ कार्यकर्ताओं ने बिना अनुमति के एक सरकारी क्वार्टर पर कथित कब्जा कर लिया. यह क्वार्टर दरअसल सीसीएल प्रबंधन के अंतर्गत आता है.
कुछ दिन पहले, जयराम महतो ने सीसीएल प्रबंधन से इस डी-टाइप क्वार्टर के लिए आवेदन किया था. उनके मुताबिक, यह क्वार्टर स्थानीय मजदूरों और जरूरतमंद लोगों के लिए आवंटित होना चाहिए. हालांकि, सीसीएल प्रबंधन ने इस आवेदन पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया था, कि तभी महतो के समर्थकों ने क्वार्टर पर कब्जा कर लिया.
बोकारो के चंद्रपुरा थाने में जेएलकेएम प्रमुख और नवनिर्वाचित विधायक जयराम महतो और उनके समर्थकों के खिलाफ सरकारी काम में बाधा डालने, सीसीएल क्वार्टर पर अवैध कब्जा करने और विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
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पुलिस की कार्रवाई और तकरार
जब सीसीएल प्रबंधन को इस कब्जे के बारे में जानकारी मिली, तो उन्होंने स्थानीय पुलिस और सीआईएसएफ के सहयोग से क्वार्टर को खाली कराने की कोशिश की. इसके लिए पुलिस दल रात 1 बजे घटनास्थल पर पहुंचा, लेकिन उनका सामना जेएलकेएम कार्यकर्ताओं के विरोध से हुआ. स्थिति बिगड़ते देख जयराम महतो को इस बारे में सूचित किया गया.
घटना की गंभीरता को समझते हुए, जयराम महतो रात 2 बजे घटनास्थल पर पहुंचे. वहां पहुंचकर विधायक ने पुलिस और सीसीएल प्रबंधन के अधिकारियों से तीखी बहस की. इस दौरान जयराम महतो ने सीसीएल प्रबंधन पर कोयला चोरी और माफियाओं का साथ देने का आरोप लगाया.
सोशल मीडिया पर छिड़ा विवाद
इस माहौल में गरमा-गरमी इतनी बढ़ गई कि इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया. वीडियो में महतो को पुलिस से आक्रामक तरीके से बात करते हुए देखा जा सकता है. इस वीडियो ने पूरे मामले को और तूल दे दिया, जिससे प्रशासनिक अधिकारियों पर सवाल उठने लगे.
जयराम महतो ने सीसीएल प्रबंधन से पूरे क्षेत्र के क्वार्टरों की सूची और उसका ब्योरा मांगने का ऐलान किया है. उनका दावा है कि इस जानकारी के आधार पर ही वह स्थानीय लोगों का भला कर सकेंगे.
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इस घटना ने विधायक जयराम महतो की काम करने की शैली और प्रशासनिक प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. समर्थकों के बीच इस आक्रामक राजनीति के बावजूद, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इससे कानून व्यवस्था पर कोई असर पड़ता है.