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आतंकी हमलों का नया गढ़ बनता जा रहा है जम्मू, 18 महीनों में 29 आतंकी घटनाएं

आतंकी संगठनों का ध्यान कश्मीर घाटी के वजह अब जम्मू क्षेत्र पर केंद्रित हो गया है. जम्मू इलाके में जनवरी 2023 के बाद 18 महीनों 29 आतंकी घटनाएं हुई हैं. कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में नागरिकों और सुरक्षा बलों के जवानों के शहीद होने की संख्या भी दोगुनी हो गई है.

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जम्मू में 18 महीनों में 29 आतंकी घटनाएं.
जम्मू में 18 महीनों में 29 आतंकी घटनाएं.

आतंकवादियां ने अपना ध्यान कश्मीर घाटी से हटाकर जम्मू पर केंद्रित कर दिया है. बीते दिनों में जम्मू क्षेत्र में कई आतंकी हमले हुए हैं, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई. जम्मू क्षेत्र में जनवरी 2023 के बाद से कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में नागरिकों और शहीद हुआ सुरक्षा बलों के जवानों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है.

2012 से जम्मू और कश्मीर के रियासी में किसी भी आतंकवादी घटना में कोई नागरिक या सुरक्षाकर्मी शहीद नहीं हुआ था, लेकिन 9 जून को स्थिति पर बदल गई. 9 जून को आतंकवादियों ने तीर्थयात्रियों की बस पर हमला कर दिया था, जिसमें 9 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 41 अन्य लोग घायल हो गए. इससे संकेत मिलता है कि जम्मू पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों का नया केंद्र बनता जा रहा है.

इंडिया टुडे और नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट (ICM) द्वारा इकट्ठे किए आंकड़ों के अनुसार, जम्मू क्षेत्र में जनवरी, 2023 से आतंकवाद की 29 घटनाओं में 42 नागरिक और सुरक्षा बल कर्मियों की मौत हुई है. जो जनवरी 2023 से कश्मीर डिवीजन में होने वाली ऐसी मौतों की संख्या से लगभग दोगुनी है.

नागरिक और जवानों को आतंकियों ने बनाया निशाना: ICM

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आईसीएम के दक्षिण एशिया आतंकवाद पोर्टल से पता चलता है कि 13 जून, 2024 तक कश्मीर के अनंतनाग, श्रीनगर, बारामूला, कुलगाम, पुलवामा और शोपियां जिलों में 24 नागरिक और सुरक्षाकर्मी आतंकी हमलों का शिकार हुए हैं.

आंकड़ों से पता चलता है कि 1 जनवरी, 2023 और 13 जून, 2024 के बीच कश्मीर में 24 की तुलना में जम्मू-कश्मीर में कम-से-कम 42 नागरिक और सुरक्षाकर्मी की मौत हुई है. इसी अवधि के दौरान, राजौरी में 17 नागरिकों की जान चली गई. जबकि पुंछ, राजौरी, कठुआ, रियासी और उधमपुर जिलों में मुठभेड़ों और घात लगाकर किए  हमलों में 25 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे. आतंक संबंधी घटनाओं में कम-से-कम 53 नागरिक और सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के 29 के जवान घायल हो गए थे.

आतंकियों ने 2023 से जम्मू को बनाया केंद्र

बताते चलें कि जम्मू-कश्मीर के हिंदू बहुल जम्मू संभाग में आतंकियों का ध्यान शिफ्ट होने की रणनीति तब स्पष्ट हुई,  जब आतंकवादियों ने 2023 के पहले दिन राजौरी के डूंगरी गांव में पांच लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. बाद में आतंकियों द्वारा लगाए गए IED ब्लास्ट में दो बच्चों की मौत हो गई.

वहीं, पीर पंजाल रेंज के जंगलों में महीनों तक चले आतंकवाद विरोधी अभियानों में लगभग एक दर्जन सशस्त्र कर्मी शहीद हो गए. अप्रैल 2023 में जब पुंछ में आतंकवादियों ने घात लगाकर हमला किया और पांच सैनिक शहीद हो गए थे. इस साल 9 जून को तीर्थयात्रियों की बस पर हमले के बाद से आतंकी हमले जारी हैं. जो अब अन्य जिलों में भी तेज हो गए हैं.

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पीर पंजाल में हुए आतंकी हमले और सर्च ऑपरेशन

पीर पंजाल रेंज के दक्षिण में स्थित जिलों में 29 आतंकवादी हमले और एंटी टेरर सर्च ऑपरेशन हुए, जिसके परिणामस्वरूप नागरिकों /या सुरक्षाबलों के जवान शहीद या घायल हो गए.

आतंकियों के इन इरादों को समझना कई भारतीय के मन में कई सवाल हैं कि आतंकवादी क्यों हैं जम्मू क्षेत्र को निशाना बना रहे हैं? आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र और फंडिंग पर कार्रवाई के कारण कश्मीर में काम करना उनके लिए मुश्किल हो गया है. इसके अलावा पीर पंजाल के जंगल घुसपैठियों के लिए प्राकृतिक छिपने की जगह के रूप में काम करते हैं.

श्रीनगर स्थित चिनार कोर की कमान संभालने वाले लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा, 'जाहिर है आज कश्मीर जाना मुश्किल है'. वहीं, रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सुशांत सरीन का कहना है कि कश्मीर घाटी से आतंकियों का केंद्र इस (जम्मू) इलाके में शिफ्ट हो गया है. हमें कई साल पहले ही इस बारे में सचेत हो जाना चाहिए था.'

इंडिया टुडे टीवी के साथ एक इंटरव्यू में लेफ्टिनेंट जनरल हसनैन ने कहा कि आतंकवादियों ने रियासी में तीर्थयात्रियों की बस पर हमला करने का फैसला उस समय किया. जब नरेंद्र मोदी एक संदेश भेजने के लिए दिल्ली में भव्य समारोह में शपथ ले रहे थे. पाकिस्तान आपने भले ही कितनी भी कोशिश क्यों न कर ले, पर वो जम्मू-कश्मीर को अपने नियंत्रण में नहीं ले पाएगा.

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